
जलवायु परिवर्तन से बदला गंगा का प्रवाह, बाढ़ की घटनाओं में इजाफे का खतरा- अध्ययन
क्या है खबर?
उत्तराखंड से निकलने वाली गंगा नदी 50 करोड़ से अधिक लोगों की जीवन रेखा है, लेकिन विभिन्न मानव गतिविधियों और जलावायु परिवर्तन के कारण गंगा के प्रवाह में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
इसके कारण गंगा बेसिन में विनाशकारी भूस्खलन और पहले की तुलना में अधिक बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया है।
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के शोधकर्ताओं द्वारा गंगा पर किए गए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
अध्ययन
मानवीय गतिविधियों से नदी पर पड़ने वाले प्रभाव का किया है विश्लेषण
इंडिया टुडे के अनुसार, जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन में गंगा की दो प्रमुख सहायक नदियों (भागीरथी और अलकनंदा) पर ध्यान केंद्रित करते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में मानव गतिविधियों के नदी पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।
ये दोनों नदियां उत्तराखंड के देवप्रयाग में परस्पर विलीन होकर गंगा के रूप में सामने आती है। भागीरथी नदी गंगोत्री ग्लेशियर से और अलकनंदा सतोपंथ ग्लेशियर से निकलकर देवप्रयाग तक पहुंचती है।
विश्लेषण
शोधकर्ताओं ने किया था अपर गंगा बेसिन के विभिन्न डाटा का विश्लेषण
शोधकर्ताओं ने ऋषिकेश तक अपर गंगा बेसिन (UGB) में स्थित मौसम केंद्रों से वर्षा, नदी में पानी के बहाव और तलछट भार के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था।
इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि जलवायु परिवर्तन और बांध बनाने जैसी मानव गतिविधियां गंगा को कैसे प्रभावित करती हैं। भागीरथी बेसिन में चार बांध 2010 से पहले बन गए थे, जबकि अलकनंदा बेसिन में दो बांध 2015 के बाद चालू हुए थे।
जानकारी
अध्ययन में सामने आई नदियों के प्रवाह में इजाफा होने की बात
अध्ययन में सामने आया कि अलकनंदा बेसिन में 1995 से 2005 तक पानी का प्रवाह दोगुना हो गया और इसे चरम प्रवाह कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने इन चरम प्रवाह की भयावहता में वृद्धि और गंगा बेसिन में बाढ़ की घटना की भविष्यवाणी की है।
बयान
अलकनंदा बेसिन में अधिक तेजी से बढ़ा है पानी का प्रवाह- स्वर्णकर
इंटरडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर वॉटर रिसर्च (ICWaR), IISc में पोस्ट डॉक्टोरल फेलो और प्रमुख शोधकर्ता सोमिल स्वर्णकर ने कहा, "हमने देखा है कि अलकनंदा बेसिन में भागीरथी बेसिन की तुलना में उच्च, सांख्यिकीय रूप से बढ़ती वर्षा की प्रवृत्ति देखी गई है। इनमें से अधिकांश बदलाव अलकनंदा के प्रवाह वाले क्षेत्र में देखे गए हैं। इसीलिए, इन क्षेत्रों में नदी के उच्च प्रवाह की मात्रा में भी भारी वृद्धि देखी गई है।" यह बेहद गंभीर स्थिति की ओर इशरा है।
कारण
बांधों के निर्माण से आया है नदी के प्रवाह में बदलाव
शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के अलावा हाल के सालों में (2010 के बाद) अलकनंदा क्षेत्र में बांधों का निर्माण होने के कारण जल प्रवाह में बदलाव की बात कही है।
उन्होंने कहा कि बांधों और जलाशयों ने नदियों द्वारा ले जाने वाले तलछट को प्रभावित किया है। जल प्रवाह में अचानक परिवर्तन के कारण गंगा के ऊपरी हिस्से में तलछट के जमाव से नीचे की ओर तलछट संरचना में भी परिवर्तन होता है। इसके कारण प्रवाह में बदलाव आया है।
भूमिका
ऊपरी गंगा बेसिन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है टिहरी बांध
इस अध्ययन से पता चलता है कि टिहरी बांध ऊपरी गंगा बेसिन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक बड़ा जलाशय और प्रवाह नियंत्रण संरचना होने के कारण यह बांध ऊपरी प्रवाह क्षेत्र से तलछट के बहाव को बाधित करता है और नीचे की ओर बहने वाले पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है।
बता दें कि वर्तमान में भागीरथी बेसिन में 11 और अलकनंदा बेसिन में 26 नई बांध परियोजनाओं की योजना पर काम किया जा रहा है।
सुझाव
जल विद्युत संचरचनाएं नदी के प्रवाह को व्यापाक रूप से करती है प्रभावित- मजूमदार
ICWaR में प्रोफेसर प्रदीप मजुमदार ने कहा, "यह सही है कि बांध जलविद्युत प्रदान कर सकते हैं, लेकिन ये संरचनाएं इन क्षेत्रों में जल प्रवाह और तलछट परिवहन प्रक्रिया को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकती हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारे पास यह तो नियंत्रण नहीं होता कि वातावरण में क्या घटित हो, लेकिन कुछ विशिष्ट उपायों से हमारा नियंत्रण हो सकता है। हम उच्च प्रवाह को कम करने के लिए संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक दोनों प्रतिक्रियाओं को विकसित कर सकते हैं।"