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    देशद्रोह कानून: सरकार ने बदलाव के लिए समय मांगा, मानसून सत्र में आ सकता है प्रस्ताव
    सुप्रीम कोर्ट में देशद्रोह कानून पर सुनवाई

    देशद्रोह कानून: सरकार ने बदलाव के लिए समय मांगा, मानसून सत्र में आ सकता है प्रस्ताव

    लेखन नवीन
    May 01, 2023
    04:06 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देशद्रोह कानून में बदलाव को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुनवाई में केंद्र सरकार ने इस कानून में बदलाव के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा।

    केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इसे लेकर संसद के मानसून सत्र में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।

    अब इस मामले में अगली सुनवाई अगस्त के दूसरे सप्ताह में होगी।

    कोर्ट

    कानून पर विचार-विमर्श अंतिम चरण में- केंद्र सरकार

    कोर्ट में सरकार की ओर से कहा गया कि देशद्रोह कानून पर विचार-विमर्श अपने अंतिम चरण में है और जल्द इसे लेकर संसद में एक प्रस्ताव पेश किया जाएगा।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बीते एक साल से देशद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगी हुई है और इसके तहत किसी के खिलाफ नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता।

    केंद्र के अनुरोध पर कोर्ट ने उसे अतिरिक्त समय दिया है, ताकि वह इस कानून में बदलाव कर सके।

    कानून

    क्या है देशद्रोह कानून?

    भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A में देशद्रोह (राजद्रोह) को परिभाषित किया गया है।

    इस धारा के अनुसार, अगर कोई शख्स सरकार विरोधी बातें लिखता या बोलता है या उनका समर्थन करता है, राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करता है या संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया जा सकता है।

    इसके अलावा देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर भी आरोपियों के खिलाफ 124A के तहत कार्रवाई हो सकती है।

    कानून

    अंग्रेजों के जमाने का है देशद्रोह का कानून

    गुलाम भारत में ब्रिटिश सरकार ने 1870 में देशद्रोह का कानून लागू किया था। इसका इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार का विरोध करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ किया जाता था और सरकार अपने विरोधियों के खिलाफ इस कानून के तहत केस दर्ज करती थी।

    देशद्रोह या राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध है। अपराध की प्रवृत्ति के हिसाब से इसमें 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा कानून में जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।

    केस

    2015-2020 के बीच देशद्रोह के 356 केस हुए दर्ज

    2015 से 2020 के बीच देशद्रोह की धारा के तहत 356 केस दर्ज किए गए थे और 548 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हैरानी की बात ये है कि गिरफ्तार लोगों में से केवल 12 लोगों को ही दोषी साबित किया जा सका।

    पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस कानून के तहत दर्ज मामलों में चल रही जांच के साथ-साथ इस कानून के तहत सभी कार्यवाही स्थगित रखने का आदेश दिया था। ये रोक जारी रहेगी।

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