बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस रोहित देव के चलती कोर्ट में इस्तीफा देने का मामला क्या है?
क्या है खबर?
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जज जस्टिस रोहित बी देव ने शुक्रवार को कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। उन्होंने दिन के लिए सूचीबद्ध मामलों को भी निपटाया।
किसी हाई कोर्ट के मौजूदा जज द्वारा इस तरह इस्तीफे का ऐलान करने का यह पहला मामला बताया जा रहा है।
आइए जानते हैं कि जस्टिस रोहित देव कौन हैं और उनके इस्तीफे के पीछे क्या कारण है।
मामला
कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
कोर्ट के कक्ष में मौजूद रहे वकीलों के मुताबिक, जस्टिस देव ने सबसे पहले कोर्ट में मौजूद लोगों से माफी मांगी।
इसके बाद जज ने कहा कि उनके मन में किसी के प्रति कोई कठोर भावना नहीं है और अगर उन्होंने किसी को भी ठेस पहुंचाई है तो उन्हें इस बात का खेद है।
उन्होंने वकीलों से भी उनके साथ सख्ती बरतने के लिए माफी मांगी और कहा कि वह चाहते हैं कि सभी वकील कड़ी मेहनत करते रहें।
बयान
जज ने अपना इस्तीफा देते हुए क्या कहा?
जस्टिस देव ने कहा, "मैं कोर्ट में मौजूद सभी लोगों से माफी मांगता हूं। मैंने आपको डांटा क्योंकि मैं चाहता था कि आप सभी में सुधार आए। मैं आप में से किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता क्योंकि आप सभी मेरे लिए एक परिवार की तरह हैं।"
उन्होंने कहा, "मुझे यह बताते हुए दुख हो रहा है कि मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। मैं अपने स्वाभिमान के विरुद्ध काम नहीं कर सकता। आप लोग (वकील) कड़ी मेहनत करते हैं।"
परिचय
जस्टिस देव को दिसंबर, 2025 में होना था सेवानिवृत्त
जस्टिस देव को 5 जून, 2017 को बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया था। उन्हें 12 अप्रैल, 2019 को बॉम्बे हाई कोर्ट का स्थायी जज बनाकर नागपुर बेंच की जिम्मेदारी दी गई थी।
जज बनने से पहले जस्टिस देव बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सहायक सॉलिसिटर जनरल का पदभार संभाल रहे थे।
महाराष्ट्र सरकार के महाधिवक्ता रह चुके जस्टिस देव को 4 दिसंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होना था।
वजह
जस्टिस देव ने क्यों दिया अपने पद से इस्तीफा?
जस्टिस देव अपने लंबे करियर में कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कर चुके हैं और उनके फैसले चर्चा का विषय रहे हैं।
उन्होंने जज के रूप में पदभार संभालने से पहले कई महत्वपपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए अपनी बहुमुखी प्रतिभा और विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया।
उन्होंने इस्तीफे के पीछे कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है, हालांकि कयास लगाए जा रहे हैं कि इनका संबंध उनके कुछ चर्चित और विवादित फैसलों से हो सकता है।
बेंच
जस्टिस देव के कौन से फैसले विवादित?
जस्टिस देव पिछले साल अक्टूबर में तब सुर्खियों में आए थे जब उनकी अगुवाई वाली पीठ ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दोषी पाए गए दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के बर्खास्त प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी कर दिया था।
जस्टिस देव की पीठ ने गढ़चिरौली की कोर्ट द्वारा की गई पूरी कार्यवाही को ही खारिज कर दिया था।
साईबाबा को माओवादियों से संबंधों को लेकर 2017 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
आदेश
जस्टिस देव का और कौन-सा फैसला सुर्खियों में रहा?
पिछले महीने जस्टिस देव की अगुवाई वाली पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के एक प्रस्ताव पर भी रोक लगा दी थी, जिसमें अवैध खनन के आरोपी ठेकेदारों के खिलाफ राजस्व विभाग द्वारा शुरू की गई दंडात्मक कार्यवाही को रद्द करने का प्रावधान था।
यह पूरा मामला मुंबई को नागपुर से जोड़ने वाले महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग के निर्माण कार्य से संबंधित है, जो महाराष्ट्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है।