कृषि कानूनों की वापसी पर बोले सुप्रीम कोर्ट पैनल सदस्य- सिर्फ चुनाव जीतना चाहते हैं प्रधानमंत्री
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुक्रवार को देश के नाम संबोधन में किए गए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कृषि पैनल के सदस्य अनिल घनवट ने बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाया गया यह प्रतिगामी कदम है। उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना। मोदी और भाजपा ने कदम पीछे खींच लिए। वो सिर्फ चुनाव जीतना चाहते हैं और कुछ नहीं।
बयान
पूरी तरह से राजनैतिक है मोदी सरकार का फैसला- घटनवट
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, घटनवट ने कहा, "तीन कृषि कानून बिल पर गहन अध्ययन और दोनों पक्षों से बातचीत करके हमनें कई सुधार और समाधान सौंपे थे, लेकिन सरकार ने गतिरोध सुलझाने के लिए उन समाधानों का इस्तेमाल करने के बजाय कानूनों को वापस ले लिया।"
उन्होंने कहा, "भाजपा और मोदी सरकार का यह फैसला पूरी तरह से राजनैतिक है। जिसका मकसद आगामी महीनों में उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव जीतना है और कुछ नहीं।"
आरोप
"हमारी सिफारिशों को सरकार ने पढ़ा तक नहीं"
घनवट ने कहा, "हमारी ओर से सुप्रीम कोर्ट को कई सिफारिशें भेजी गई थीं, लेकिन सरकार का फैसला देखकर लगता है कि कृषि कानूनों पर भेजी गई सिफारिशों को सरकार ने पढ़ा तक नहीं। इस फैसले ने खेती और उसके विपणन क्षेत्र में सभी तरह के सुधारों का दरवाजा बंद कर दिया है।"
उन्होंने कहा, "इस कदम से किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा और इससे भाजपा को उत्तर प्रदेश तथा पंजाब के विधानसभा चुनावों में मदद भी नहीं मिलेगी।"
सुझाव
सरकार को मामले से निपटने के लिए अपनानी चाहिए थी अलग नीति- घनवट
घनवट ने कहा, "सरकार को कानूनों को निरस्त करने की जगह इस मुद्दे से निपटने के लिए अन्य नीतियां अपनानी चाहिए थी। अगर सरकार ने संसद में विधेयक पारित करने के दौरान उचित तरीके से चर्चा की होती तो ये कानून बच सकते थे।"
उन्होंने कहा, "नए कृषि कानूनों में किसानों को पहली बार विपणन में थोड़ी आजादी दी गई थी, लेकिन अब उन्हें निर्यात प्रतिबंध और भंडार सीमाओं जैसी पाबंदियों का सामना करना होगा।"
जानकारी
शरद पवार ने राजनीतिक कारणों से किया कानूनों का विरोध- घनवट
घनवट ने कहा केंद्रीय कृषि मंत्री रहते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने इसी तरह के सुधारों पर जोर दिया था, लेकिन राजनीतिक कारणों से उन्होंने बाद में इन कानूनों का विरोध किया। हम इस मुद्दे पर लोगों को जागरूक करते रहेंगे।
ऐलान
प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह किया था कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को यानी गुरु नानक देव की 552वीं जयंती पर देश के नाम संबोधन करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया।
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार छोटे किसानों के कल्याण के लिए सत्यनिष्ठा से कानून लेकर आई थी, लेकिन यह बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।"
उन्होंने कहा, "29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।"