मध्य प्रदेश: लोगों को बिना जानकारी दिए उन पर कोरोना वैक्सीन ट्रायल करने के आरोप
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोगों को बिना बताए उन पर कोरोना वायरस वैक्सीन का ट्रायल करने का मामला सामने आया है। यहां के निजी अस्पताल पर आरोप है कि उसने गैस पीड़ितों को जानकारी दिए बिना कोरोना वायरस की वैक्सीन का ट्रायल कर दिया। अस्पताल का नाम पीपल्स अस्पताल है। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया था। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
पूरी जानकारी दिए बिना टीका लगाने का आरोप
बीबीसी के अनुसार, यह मामला तब उजागर हुआ, जब कुछ गैस पीड़ितों ने आगे आकर कहा कि उन्हें पर्याप्त जानकारी दिए बिना उन पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया है। इन लोगों में शामिल 37 वर्षीय जितेंद्र नरवारिया ने बताया कि जब वो अस्पताल गए तो उन्हें पता नहीं था कि वहां ट्रायल चल रहा है। उन्होंने जब पूछा कि टीका लगाने से उन्हें कोई परेशानी तो नहीं होगी तो कहा कि इससे कोई समस्या नहीं होगी।
टीका लेने के बाद तबीयत बिगड़ने का आरोप
नरवारिया ने आगे बताया कि टीका लगने के बाद उन्हे पीलिया हो गया, जिसके बाद सर्दी, बुखार और जुकाम भी बढ़ गया। फिलहाल वो पीपल्स अस्पताल में भर्ती हैैं, जहां प्रबंधन की तरफ से उनका इलाज किया जा रहा है। नरवारिया के अलावा शंकर नगर के हरि सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ है। उन्हें भी अस्पताल प्रबंधन ने कुछ नहीं होने और पुरानी बीमारियों को ठीक होने का भरोसा देकर टीका लगा दिया।
लगभग 700 लोगों को लगाए गए टीके
बताया जा रहा है कि गैस पीड़ितों की बस्तियों में रहने वाले करीब 700 लोगों को ट्रायल के दौरान टीके लगाए गए। गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाली भोपाल ग्रुप फॉर इंफोर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि इन लोगों को बिना पर्याप्त जानकारी दिए गाड़ी में भरकर अस्पताल ले जाया गया, जहां इन पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया। इसके लिए इन लोगों को 750 रुपये दिए गए थे।
लोगों को ट्रायल के बारे में नहीं दी गई जानकारी- रचना
रचना ने अस्पताल प्रबंधन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने ट्रायल के बाद आने वाले परेशानियों के लिए कुछ नहीं किया और लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को ट्रायल के फायदे-नुकसान के बारे में नहीं बताया गया और न ही सहमति के दस्तावेज की कोई कॉपी दी गई। लोगों से कहा गया कि अभी टीका लगवाने पर 750 रुपये मिलेंगे और बाद में लगवाने के लिए पैसे देने पड़ेंगे।
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अस्पताल ने आरोपों का खंडन किया
दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि लोगों की सहमति लिए बिना ट्रायल नहीं किया गया है। पीपल्स यूनिवर्सिटी के चांसलर राजेश कपूर ने कहा कि नियमों के उल्लंघन के सभी आरोप गलत हैं।
नियमों के तहत हुई पूरी प्रक्रिया- कपूर
राजेश कपूर ने बताया कि ट्रायल से पहले लगभग 30 मिनट तक काउंसलिंग की जाती है। ट्रायल में शामिल लोगों को बताया जाता है कि यह वैक्सीनेशन नहीं बल्कि ट्रायल है। इसके बाद व्यक्ति दो बार सहमति पत्र भरता है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन पर सहमति पत्र न दिखाने के आरोप लग रहे हैं, लेकिन नियमों के तहत ये पत्र गोपनीय होते हैं और अस्पताल में जमा रहते हैं। इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
अस्पताल में हो रहा था कोवैक्सिन का ट्रायल
जानकारी के अनुसार, पीपल्स अस्पताल में बीते महीने भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन का ट्रायल शुरू हुआ था। शुरुआत में कुछ डॉक्टरों, अध्यापकों और किसान इसमें शामिल होने को तैयार हुए थे, लेकिन बाद में उनमें से अधिकतर पीछे हट गए।