कोरोना वायरस के बदलते रूप से जुड़ी क्या-क्या जानकारी सामने आई है?
इंग्लैंड में क्रिसमस से पहले कड़ी पाबंदियां लागू करने के पीछे कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को जिम्मेदार माना जा रहा है। वायरस का यह स्ट्रेन तेजी से फैलता है। इस स्ट्रेन के कारण भारत समेत यूरोप के भी कई देशों ने इंग्लैंड से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है। आइये, जानते हैं कि इस नए स्ट्रेन के बारे में अभी तक हमको क्या-क्या पता है।
हमेशा रूप बदलते रहते हैं वायरस
कोई भी वायरस हो, वे हमेशा अपने रूप बदलते रहते हैं, इसलिए उसके व्यवहार में आ रहे बदलाव पर वैज्ञानिक नजर रखते हैं। बदलते कोरोना वायरस के बारे में अब तक जो जानकारी मिली है वो फिलहाल पुख्ता नहीं है।
इस स्ट्रेन से जुड़ी चिंता की बात क्या है?
नया स्ट्रेन पुराने वर्जन को लगातार बदल रहा है। यह स्ट्रेन कोरोना वायरस के उन हिस्सों को लगातार बदल रहा है, जिन्हें महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा इसकी वजह से वायरस में कुछ ऐसे बदलाव आते हैं, जो इंसानी शरीर की कोशिकाओं को गंभीर रूप से संक्रमित कर सकते हैं। इन सब बदलावों की वजह से स्ट्रेन चिंता पैदा कर रहा है। साथ ही नया स्ट्रेन पुराने की तुलना में अधिक तेजी से फैलता है।
यह स्ट्रेन कितनी तेजी से फैल रहा है?
सबसे पहले सितंबर में इस नए स्ट्रेन की पहचान हुई थी। नवंबर में लंदन के कोरोना मरीजों में से एक चौथाई नए स्ट्रेन से संक्रमित थे। दिसंबर के मध्य तक ऐसे संक्रमितों की संख्या दो तिहाई हो गई है। UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बताया था कि नया स्ट्रेन 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है। इसकी वजह से ट्रांसमिशन रेट (R) में 0.4 प्रतिशत का इजाफा देखा जा सकता है। यह रेट महामारी की रफ्तार का अंदाजा देती है।
नया स्ट्रेन कहां तक फैल चुका है?
उत्तरी आयरलैंड को छोड़कर पूरे इंग्लैंड में नए स्ट्रेन के संकेत देखे जा रहे हैं। हालांकि, लंदन, दक्षिण पूर्व और पूर्वी इंग्लैंड में इसका असर सबसे ज्यादा दिख रहा है। इन इलाकों को छोड़कर अभी तक बाकी जगहों पर मामलों में तेज बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है। इंग्लैंड के अलावा डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड में इस स्ट्रेन के मामलों की पुष्टि हुई है। दक्षिण अफ्रीका में भी ऐसे ही एक और स्ट्रेन की पहचान हुई है।
नए स्ट्रेन से वायरस में कितना बदलाव हुआ है?
नए स्ट्रेन की वजह से कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव देखने को मिले हैं। इसकी मदद से कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। N501Y नाम का एक बदलाव स्पाइक प्रोटीन के सबसे जरूरी हिस्से 'रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन' को बदल देता है। इसकी मदद से ही वायरस इंसानी कोशिकाओं के संपर्क में आता है। वायरस में कोई भी ऐसा बदलाव, जो कोशिका में इसके प्रवेश का आसान बना दें, वह घातक साबित हो सकता है।
यह स्ट्रेन कहां से आया?
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन ऐसे मरीज में सबसे पहले पाया गया था, जिसका इम्युन सिस्टम कमजोर था और वह वायरस को हरा नहीं पाया। इस वजह से उसके शरीर में मौजूद वायरस में बदलाव आने लगे।
कितना घातक है नया स्ट्रेन?
अभी तक यह बता पाना मुश्किल है कि नया स्ट्रेन कितना घातक हो सकता है। अभी यह बहुत शुरुआती चरण में है और इस पर अध्ययन किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि अभी किसी नतीजे पर पहुंचाना जल्दबाजी होगी। फिर भी संक्रमण की तेज रफ्तार के कारण चिंताएं बढ़ने लगी है। अधिक लोगों के संक्रमित होने का मतलब यह है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ेगा, जो कई चुनौतियां का कारण बन सकता है।
क्या ऐसा पहले भी कोरोना वायरस में बदलाव आया है?
यह पहली बार नहीं है जब कोरोना वायरस अपना रूप बदल रहा हो। जो वायरस सबसे पहले चीन के वुहान में मिला था, वो उन वायरसों से अलग है जो अभी दुनिया में मौजूद है। इस समय वायरस का D614G प्रकार सबसे ज्यादा है।
क्या वैक्सीन इस स्ट्रेन के खिलाफ काम करेगी?
अभी के लिए इसका जवाब हां है। कम से कम अगले एक साल तक कोरोना वायरस की वैक्सीन इसके खिलाफ प्रभावी होंगी। दरअसल, वैक्सीन इंसान के इम्युन सिस्टम को एक वायरस के कई अलग-अलग हिस्सों पर हमला करने के लिए तैयार करती है। ऐसे में अगर एक हिस्से में बदलाव आता भी है तो वह दूसरे हिस्से पर हमला कर वायरस को निष्क्रिय कर देगी, लेकिन अगर वायरस में ज्यादा बदलाव आते हैं, तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है।