मध्य प्रदेश: कांग्रेस नेता कमलनाथ ने चुनाव आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने विवादित बयानों के कारण चुनाव आयोग द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा उन्हें आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी मानते हुए स्टार प्रचारकों की सूची से हटाए जाने के आदेश को चुनौती दी है और सुप्रीम कोर्ट से आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। ऐसे में अब मामले को लेकर मध्य प्रदेश के राजनीति में और अधिक गरमाहट आ गई है।
कमलनाथ ने भाजपा प्रत्याशी और मुख्यमंत्री को लेकर दिया था विवादित बयान
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने डबरा में चुनावी सभा के दौरान शिवराज कैबिनेट की मंत्री इमरती देवी का नाम लिए बिना उन्हें 'आइटम' कह दिया था। इस बयान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि नेताओं ने मौन धरना दिया था। कमलनाथ ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्हें महिला नेता का नाम याद नहीं था। इसी तरह उन्होंने 13 अक्टूबर को बामोरी में आयोजित चु्नावी सभा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 'नौटंकी कलाकार' कहा था।
चुनाव आयोग ने उन्हें आचार संहिता उल्लंघन का दोषी मानकर की कार्रवाई
चुनाव आयोग ने गत 21 अक्टूबर को कमलनाथ को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। इसका जवाब देते हुए कमलनाथ ने कहा था कि उनके भाषण में कोई दुर्भावना नहीं थी। उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। हालांकि, आयोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और शुक्रवार को उन्हें आचार संहिता उल्लंघन का दोषी मानते हुए कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची से हटाने का आदेश दे दिया। उन्हें प्रत्याशी के खर्च पर प्रचार की अनुमति दी गई थी।
चुनाव आयोग की कार्रवाई पर कमलनाथ ने दिया था यह बयान
कमलनाथ ने शनिवार को आयोग की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्टार प्रचारक कोई पोस्ट या पोजीशन नहीं है। चुनाव आयोग ने ना तो उन्हें कोई नोटिस दिया था और ना ही उनसे इस बारे में कुछ पूछा था। आयोग ने प्रचार अभियान के आखिरी दो दिन में ऐसा क्यों किया, ये तो केवल उसे ही मालूम हो सकता है। इससे पहले उन्होंने शुक्रवार को आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की भी बात कही थी।
कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी आदेश को चुनौती
मामले में कमलनाथ ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर कर आयोग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने याचिका में कहा कि किसी व्यक्ति को स्टार प्रचारक के रूप में नामित करना पार्टी का अधिकार है और चुनाव आयोग पार्टी के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। चुनाव आयोग का निर्णय अभिव्यक्ति और आवागमन के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन है। चुनाव आयोग नोटिस देने के बाद फैसला कर सकता है, लेकिन उन्हें नोटिस नहीं दिया गया।
कमलनाथ करेंगे तत्काल सुनवाई की अपील
वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आयोग के फैसले को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी है और याचिका पर तत्काल सुनवाई कराए जाने का आग्रह किया जाएगा। इससे मामले में जल्द ही निर्णय हो सकेगा।
भाजपा-कांग्रेस नेताओं ने दूसरे को लेकर की आपत्तिनजक टिप्पणियां
बता दें कि आगामी 3 नवंबर को 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पिछले कुछ दिनों में एक-दूसरे को गद्दार और अन्य आपत्तिजनक शब्द कहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि "गद्दारी" कमलनाथ सरकार के पतन का कारण बनी। वहीं, भाजपा का कहना है कि गद्दार वो नहीं बल्कि कांग्रेस है, जिसने अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं करके मध्यप्रदेश की जनता को धोखा दिया है।