मध्य प्रदेश: भाजपा की सरकार रहेगी या कांग्रेस की होगी वापसी? उपचुनाव से होगा तय
इस समय सभी की नजरें बिहार विधानसभा चुनाव पर लगी हुई हैं, लेकिन इन्हीं के साथ हो रहे मध्य प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव भी कम अहम नहीं हैं। 28 सीटों पर होने जा रहे इन उपचुनावों के नतीजों से तय होगा कि राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार रहेगी या फिर कांग्रेस सरकार की वापसी होगी। इन उपचुनावों की जरूरत क्यों पड़ी और इसमें क्या समीकरण बन रहे हैं, आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के साथ शुरू होती है कहानी
मध्य प्रदेश विधानसभा का पू्र्ण संख्याबल 230 है और राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 116 सीटें चाहिए होती हैं। इस साल मार्च तक यहां कमलानाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी और 114 विधायकों वाली कांग्रेस अन्य पार्टियों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही थी। लेकिन मार्च में उसके नंबर दो नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से बगावत कर दी और उनके खेमे के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया।
विधानसभा का संख्याबल गिरने के बाद भाजपा ने बनाई सरकार
22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई और 20 मार्च को कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा का संख्याबल कम हो गया और शिवराज के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बना ली।
अभी क्या है मध्य प्रदेश विधानसभा का समीकरण?
कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के साथ-साथ विधायकों की मौत के कारण भी मध्य प्रदेश विधानसभा की तीन सीटें खाली हुई हैं। इसके अलावा चार अन्य कांग्रेस विधायक भी इस्तीफा दे चुके हैं। इस तरह अभी मध्य प्रदेश विधानसभा का संख्याबल 201 है और बहुमत का आंकड़ा 101 है। फिलहाल 107 विधायकों वाली भाजपा ने अकेले दम पर सरकार बना रखी है। वहीं कांग्रेस के 87, बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायक हैं।
क्यों अहम हैं उपचुनाव?
अभी मध्य प्रदेश में खाली पड़ी 29 में से 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं और इन चुनावों के बाद राज्य विधानसभा का संख्याबल 229 हो जाएगा। इसके बाद किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कम से कम 115 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी और अगर भाजपा को सरकार में बने रहना है तो उसे कम से कम आठ सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। भाजपा के लिए ये बहुत मुश्किल नहीं है।
अगर सत्ता में वापसी चाहती है कांग्रेस तो करना होगा ये
अगर कांग्रेस को अकेले दम पर सत्ता में वापसी करनी है तो उसे सभी सीटों पर उपचुनाव जीतने होंगे। ऐसा हो पाएगा, इसकी संभावना बहुत कम है। हालांकि, कांग्रेस की वापसी का एक और रास्ता है और पार्टी की नजरें इसी रास्ते पर हैं। अगर कांग्रेस 28 में से 21 सीटों पर उपचुनाव जीतने में कामयाब रहती है और पहले की तरह अन्य पार्टियों और निर्दलीय खेमे के सात विधायक उसे समर्थन दे देते हैं तो उसकी सरकार बना जाएगी।
मध्य प्रदेश में पहली बार सरकार का भविष्य तय करेंगे उपचुनाव
मध्य प्रदेश में ये पहली बार होगा जब उपचुनावों के आधार पर ये तय होगा कि कोई सरकार बचेगा या जाएगी। चुनाव में इतना कुछ दांव पर लगे होने के कारण ही दोनों पार्टियां इसमें अपना पूरा दमखम झोंक रही हैं। विशेषज्ञ अभी भाजपा का पलड़ा भारी मानकर चल रहे हैं और 28 में से 16 सीटें ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में होने से भी उसे फायदा होने की संभावना जताई जा रही है।
3 नवंबर को वोटिंग, 10 नवंबर को आएंगे नतीजे
मध्य प्रदेश की इन 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होगी, वहीं नतीजे 10 नवंबर को बिहार चुनाव के साथ ही आएंगे। बाकी एक सीट पर अभी इसलिए उपचुनाव नहीं हो रहा है क्योंकि ये उपचुनाव की घोषणा के बाद खाली हुई है।