आंध्र प्रदेश में 15 फरवरी तक पूरी होगी जातिगत जनगणना, सरकार ने बनाई खास योजना
क्या है खबर?
आंध्र प्रदेश की सरकार ने राज्य में चल रही जातिगत जनगणना को 15 फरवरी तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
इसके लिए खास 5 सूत्रीय योजना बनाई गई है। जनगणना में जुटे कर्मचारियों से लेकर मंत्रियों तक को इस योजना का पालन करने की सलाह दी गई है।
बता दें कि 3 नवंबर को मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने जातिगत जनगणना की मंजूरी दी थी।
योजना
क्या है सरकार की योजना?
सरकार ने ग्राम वार्ड सचिवालय के कर्मचारियों को 19 से 28 जनवरी के बीच घर-घर जाकर जनगणना करने को कहा है।
इस सर्वे में जो लोग छूट जाएं, वे 29 जनवरी से 2 फरवरी तक गांव और वार्ड सचिवालय जाकर अपनी जानकारी दर्ज करा सकते हैं।
सर्वे में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और रोजगार से जुड़ी जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसके लिए 11 जनवरी तक कर्मचारियों को प्रशिक्षण का काम पूरा हो चुका है।
जनगणना
राज्य में 9 दिसंबर से शुरू हुई थी जातिगत जनगणना
आंध्र प्रदेश में 9 दिसंबर, 2023 को जातिगत जनगणना का काम शुरू हुआ था।
तब सूचना और जनसंपर्क मंत्री सी श्रीनिवास वेणुगोपाल ने कहा था, "लोगों के जीवन स्तर को बदलने के लिए जातिगत जनगणना करना महत्वपूर्ण है। आजादी के बाद भारत में केवल जनसंख्या जनगणना हुई है, जातिगत जनगणना कभी नहीं हुई। शुरू में जनगणना में 139 पिछड़े वर्गों की जानकारी एकत्रित की जा रही थी, लेकिन अब इसमें आंध्र प्रदेश की सभी जातियां शामिल हैं।"
जाति
आंध्र प्रदेश में क्या है जातियों की स्थिति?
आंध्र प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। इस समुदाय में 139 उप-जातियां हैं।
अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी क्रमशः 19 और 5.6 प्रतिशत हैं।
सरकार ने वर्तमान आरक्षण संरचना में OBC को 5 समूहों में कुल 29 प्रतिशत आरक्षण दे रखा है। SC को 15, ST को 6 और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है।
राज्य में कुल आरक्षण 60 प्रतिशत है।
चुनाव
चुनावों को देखते हुए अहम है जातिगत जनगणना
इस साल लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इस लिहाज से ये मुद्दा अहम है।
मुख्यमंत्री जगन रेड्डी की नजर OBC वोटबैंक पर है, जो पारंपरिक तौर पर तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के मतदाता रहे हैं।
जातीय समीकरणों को साधने के लिए रेड्डी ने राज्य में 5 उपमुख्यमंत्री बना रखे हैं।
जब जातिगत जनगणना का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित हुआ था, तब सरकार ने कहा था कि इससे विपक्षी पार्टियां कांप रही हैं।
बिहार
बिहार सरकार करा चुकी है जातिगत सर्वे
आंध्र से पहले बिहार में जातिगत सर्वे हो भी चुका है और अक्टूबर में इसके आंकड़े जारी किए गए थे। ओडिशा में भी जातिगत जनगणना हो चुकी है।
इसके अलावा कांग्रेस ने तेलंगाना में जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया है।
दरअसल, इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति है। भाजपा जातिगत जनगणना के खिलाफ रही है, इसलिए विपक्ष इसके जरिए भाजपा को OBC विरोधी साबित करना चाहता है और जातिगत गोलबंदी करके उसके हिंदुत्व के एजेंडे में सेंध लगाना चाहता है।
प्लस
क्या होती है जातिगत जनगणना?
जातिगत जनगणना का अर्थ जनगणना में जनसंख्या का जातिवार सारणीकरण करने से है, ताकि ये पता चल सके कि किस जाति की कितनी आबादी है।
1952 के बाद से जनगणना में केवल SC और ST का डाटा सार्वजनिक किया जाता है। सभी जातियों की संख्या आखिरी बार 1931 में जारी की गई थी। इसी आधार पर वर्तमान में आरक्षण दिया जाता है।
2011 की जनगणना में जाति के आंकड़े भी जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।