बिहार में जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी; 63 प्रतिशत आबादी OBC, 16 सवर्ण
बिहार सरकार ने सोमवार को जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी कर दिए। राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है, जिसमें से 27 प्रतिशत आबादी पिछड़ा वर्ग और 36 प्रतिशत आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इस तरह से देखा जाए तो राज्य की आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी 63 प्रतिशत है। दूसरी तरफ सवर्ण जातियों की आबादी 16 प्रतिशत है, वहीं 19 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति (SC) वर्ग की है।
किस जाति की कितनी आबादी?
बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह ने जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के अनुसार, बिहार में भूमिहार की आबादी 2.86 प्रतिशत, ब्राह्मणों की आबादी 3.66 प्रतिशत, कुर्मियों की आबादी 2.87 प्रतिशत, मुसहरों की आबादी 3 प्रतिशत, यादवों की आबादी 14 प्रतिशत और राजपूत की आबादी 3.45 प्रतिशत की करीब है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वे जारी होने पर इस कार्य में लगी पूरी टीम को बधाई दी है।
राज्य में किस धर्म के कितने लोग?
बिहार के जातिगत सर्वे के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13,07,25,310 है। सर्वे में विभिन्न धर्मों की आबादी के आकंड़े भी जारी किए गए हैं। राज्य में लगभग 81.99 प्रतिशत आबादी हिंदू, वही 17.70 प्रतिशत आबादी इस्लाम धर्म से है। इसके अलावा 0.05 प्रतिशत आबादी ईसाई, 0.01 प्रतिशत सिख, 0.08 प्रतिशत बौद्ध और करीब 0.12 प्रतिशत आबादी अन्य धर्मों से है।
नीतीश बोले- विधानसभा में जाति आधारित जनगणना की देंगे जानकारी
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि बिहार में कराई गई जातिगत जनगणना को लेकर शीघ्र ही विधानसभा में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि जाति आधारित गणना का जिन 9 दलों ने विधानसभा में समर्थन किया था, उन्हीं दलों की विधानसभा में बैठक बुलाई जाएगी और उन्हें जाति आधारित गणना के परिणामों से अवगत कराया जाएगा। नीतीश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसे लेकर यह जानकारी साझा की।
जातीय जनगणना से आर्थिक स्थिति की मिली जानकारी- नीतीश
नीतीश ने अपने पोस्ट में लिखा, 'जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है, बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए आगे कार्रवाई की जाएगी।'
लालू यादव बोले- देश के लिए नजीर पेश करेंगे आंकड़े
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी बिहार के जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी होने पर खुशी व्यक्त की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'भाजपा की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को जारी किया।' उन्होंने लिखा, 'ये आंकड़े वंचितों और गरीबों के समुचित विकास की योजना बनाने एवं हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नजीर पेश करेंगे।'
जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी- लालू
लालू ने आगे लिखा, 'केंद्र सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो।' उन्होंने लिखा, 'केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी, तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सत्ता से बेदखल करेंगे।'
पटना हाई कोर्ट ने सर्वे को लेकर नीतीश को दी थी राहत
नीतीश सरकार को बिहार में जाति आधारित सर्वे करवाने के लिए कानूनी चुनौतियों और कुछ राजनीतिक दलों के विरोध का सामना करना पड़ा। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और पटना हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के हाई कोर्ट में लंबित होने के कारण इसमें दखल देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने अगस्त में इस सर्वेक्षण से रोक हटाते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
बिहार में जाति आधरित सर्वे करवाने के पीछे नीतीश सरकार का तर्क था कि उसके पास OBC और अन्य जातियों का सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार द्वारा नगर निकाय और पंचायत चुनाव में OBC को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों को 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों को एक प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वह 13 प्रतिशत आरक्षण और दे सकती है। सर्वे के आंकड़े सामने आने के बाद इसमें बदलाव होना तय है।