#NewsBytesExplainer: क्या है टाइम कैप्सूल और इसे राम मंदिर के 2,000 फुट नीचे क्यों दबाया जाएगा?
क्या है खबर?
अयोध्या में आज राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। इस अवसर पर हजारों की संख्या में देशभर से तमाम श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं।
इस बीच राम मंदिर में 2,000 फुट नीचे एक खास प्रकार का टाइम कैप्सूल रखे जाने की खबर चर्चा का विषय बनी हुई है।
आइए जानते हैं कि आखिर यह टाइम कैप्सूल है क्या और इसे राम मंदिर के नीचे क्यों गाड़ा जाएगा।
टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल क्या है?
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर है, जिसकी मदद से वर्तमान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को भविष्य की पीढ़ी के लिए जमीन के अंदर सुरक्षित किया जाता है।
यह बेलनाकार, चकोर, आयातकार या किसी अन्य आकार का हो सकता है, जिसे आमतौर पर इमारतों की नींव में रखा जाता है।
यह एल्युमिनियम, स्टेनलेस स्टील या तांबे जैसी धातु से बनाया जाता है। इसमें रखने वाले दस्तावेज एसिड-मुक्त होते हैं, जो हजारों सालों तक गलते या सड़ते नहीं हैं।
मिला
टाइम कैप्सूल को कितने समय के लिए दफनाया जाता है?
टाइम कैप्सूल को 2 तरीके से रखा जाता है, एक अनिश्चितकाल के लिए और दूसरा निश्चित समय के लिए।
अनिश्चितकाल जैसे अमेरिका के जॉर्जिया में एक टाइम कैप्सूल साल 1940 में दबाया गया था और तय किया गया कि यदि मानव सभ्यता बची रही तो इसे 8113 में निकाल लिया जाएगा।
मशहूर लेखिका मार्ग्रेट एटवुड के कई अप्रकाशित उपन्यास टाइम कैप्सूल में दफनाए गए हैं, जिन्हें साल 2114 में निकाला जाना है और निश्चित काल में आएगा।
कारण
टाइम कैप्सूल क्यों रखा जाता है और राम मंदिर के नीचे क्यों रखा जा रहा?
टाइम कैप्सूल से संबंधित जगह की जानकारी आसानी से भविष्य की पीढ़ी तक पहुंचाई जा सकती है।
यह भविष्य के पुरातत्वविदों, मानवविज्ञानी या इतिहासकारों को अतीत की मानव सभ्यता के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं।
श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अनुसार, यदि धरती पर कोई विनाश आया या भविष्य में इसको लेकर कोई विवाद हुआ भी तो इस कैप्सूल के जरिए अयोध्या और राम मंदिर से जुड़ी जानकारी को आसानी से हासिल किया जा सकेगा।
संदेश
टाइम कैप्सूल में क्या होगा?
टाइम कैप्सूल में अयोध्या, भगवान राम और उनके जन्म स्थान के बारे में संस्कृत में एक संदेश होगा।
टाइम कैप्सूल को साइट के नीचे रखने से पहले एक तांबे की प्लेट या 'ताम्र पत्र' के अंदर रखा जाएगा। ट्रस्ट के अनुसार, संस्कृत को इसलिए चुना गया क्योंकि इस भाषा में कम शब्दों में लंबे वाक्य लिखे जा सकते हैं।
बता दें कि भूमि पूजन के दिन टाइम कैप्सूल नहीं रखा गया था क्योंकि इसे बनने में काफी समय लगता है।
लाल किला
भारत में और कहां-कहां टाइम कैप्सूल दफनाए गए?
भारत में टाइम कैप्सूल के कई उदाहरण हैं।
1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लाल किले के बाहर एक टाइम कैप्सूल रखा गया था। इसको लेकर काफी विवाद हुआ था। बाद में जनता पार्टी की सरकार द्वारा इसे निकलवा दिया था।
2010 में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने IIT--कानपुर के कैंपस में टाइम कैप्सूल दफनवाया था।
मुंबई के एक स्कूल में, जालंधर की लवली पब्लिक यूनिवर्सिटी, गांधी नगर के महात्मा मंदिर आदि में भी टाइम कैप्सूल दफनाए गए हैं।
दुनिया
कब हुई थी टाइम कैप्सूल की शुरुआत और कुल कितने टाइम कैप्सूल?
टाइम कैप्सूल' का प्रारंभ वर्ष 1876 से माना जाता है। तब न्यूयॉर्क पत्रिका के प्रकाशक द्वारा फिलाडेल्फिया में 'सेंचुरी सेफ' नाम से एक टाइम कैप्सूल को जमीन में दफन किया गया था।
अमेरिका में स्थित और 1990 में गठित इंटरनेशनल टाइम कैप्सूल सोसाइटी (ITCS) दुनियाभर में दफनाए गए टाइम कैप्सूल के आंकड़े जारी करती थी, जो अब बंद हो गई है।
इसके आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में 10,000-15,000 टाइम कैप्सूल हैं।
जानकारी
स्पेन मे मिला है सदियों पुराना टाइम कैप्सूल
30 नवंबर, 2017 को स्पेन के बर्गोस में ईसा मसीह की मूर्ति के अंदर एक 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल पाया गया। इसमें वर्ष 1777 की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारी थी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सबसे पुराना टाइम कैप्सूल है, जो पाया गया है।