राम मंदिर बनाने का फैसला सुनाने वाले 5 न्यायाधीशों को मिला प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के 5 न्यायाधीशों को प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। इंडिया टुडे के मुताबिक, 4 साल पहले फैसले के समय सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में शामिल पांचों न्यायाधीश राज्य अतिथि के रूप में आमंत्रित हैं। आमंत्रित लोगों में पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, शीर्ष वकील, 50 से अधिक न्यायविद, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल शामिल हैं।
किन न्यायाधीशों ने सुनाया था फैसला?
9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर बनाने का फैसला सुनाने वाले 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ में रंजन गोगोई, एसए बोबड़े, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे। रंजन गोगोई उस समय भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) थे। बाद में बोबड़े भी CJI रहे। डीवाई चंद्रचूड़ मौजूदा समय में CJI हैं। अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रहे हैं। इस फैसले के बाद कई साल पुराने विवाद का पटाक्षेप हो गया था।
न्यायाधीशों ने क्या सुनाया था फैसला?
अयोध्या में विवादित जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को रामलला की जन्मभूमि बताई थी और इसे हिंदू ट्रस्ट को सौंपने के लिए कहा था। साथ ही कोर्ट ने सरकार को 5 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को सौंपने के लिए कहा था, ताकि मस्जिद बन सके। बता दें, 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद आंदोलन का रूप बदल गया था।