सोमपुरा परिवार: जिसने कदमों से जगह नापी और राम मंदिर का भव्य डिजाइन तैयार किया
क्या है खबर?
अयोध्या मे बनने वाले राम मंदिर का डिजाइन सोमपुरा परिवार ने तैयार किया है।
गुजरात का रहने वाला सोमपुरा परिवार कई पीढ़ियों से मंदिरो के डिजाइन तैयार कर रहा है।
अगले 3.5 सालों में तैयार होने वाले राम मंदिर का पहला डिजाइन चंद्रकांत सोमपुरा ने लगभग 30 साल पहले तब तैयार किया था, जब वो अयोध्या गए थे।
उस समय यहां बाबरी मस्जिद होती थी, जिसे बाद में ढहा दिया गया। अब उस जगह मंदिर बनेगा।
सोमपुरा परिवार
30 साल पहले चंद्रकांत सोमपुरा ने डिजाइन किया था राम मंदिर
अब 77 साल के हो चुके चंद्रकांत सोमपुरा ने 30 साल पहले तत्कालीन विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख अशोक सिंघल के साथ मिलकर मंदिर पर काम शुरू किया था।
कारोबारी घनश्यामदास बिरला ने चंद्रकांत को सिंघल से मिलाया था। चंद्रकांत उस समय तक कई बिरला मंदिरों का डिजाइन तैयार कर चुके थे।
तब से लेकर अब तक लंबा समय बीत चुका है। चंद्रकांत कहते हैं कि आमतौर पर योजना के 2-3 साल के भीतर ही भूमि पूजन हो जाता है।
राम मंदिर
चंद्रकांत के बेटे आशीष संभाल रहे हैं प्रोजेक्ट
चंद्रकांत अपनी उम्र और कोरोना वायरस संकट को देखते हुए अयोध्या नहीं जा सके, लेकिन उनके बेटे आशीष इस समय वहां मौजूद हैं।
आशीष ने मंदिर का निर्माण की योजना तैयार की है और वो लार्सन एंड टर्बो के साथ मिलकर अयोध्या में काम कर रहे हैं। लार्सन एंड टर्बो को मंदिर बनाने का अनुबंध मिला है।
आशीष को यह कला अपने पिता और दादा से मिली है। उनके दादा प्रभाशंकर ने गुजरात का सोमनाथ मंदिर बनाया था।
डिजाइन
200 से ज्यादा मंदिरों के डिजाइन बना चुका है सोमपुरा परिवार
सोमपुरा परिवार अब तक देश-विदेशों में 200 से ज्यादा मंदिरों के डिजाइन तैयार कर चुका है।
गुजरात के भावनगर के पालिताणा के रहने वाला इस परिवार का कहना है कि उन्होंने मंदिर का डिजाइन तैयार करने की कला दैव्य वास्तुकार विश्वकर्मा से सीखी है।
राम मंदिर के बारे में चंद्रकांत कहते हैं कि 31 साल पहले उन्होंने अपने पैर से जमीन मापी थी और उसी के आधार पर मंदिर का डिजाइन तैयार किया था।
किस्सा
पीवी नरसिम्हा राव ने चंद्रकांत से की थी ये मांग
चंद्रकांत कहते हैं कि उन्होंने VHP से मंजूरी मिलने के बाद राम मंदिर के लकड़ी के मॉडल को कुंभ मेले में साधुओं के सामने पेश किया था। साधुओं ने इस मंदिर को हरी झंडी दिखा दी थी।
सोमपुरा याद करते हुए बताते हैं कि बाबरी मस्जिद ढहाने से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा ने उनसे पूछा था कि क्या वो ऐसा प्लान बना सकते हैं कि वहां मस्जिद भी रहे और मंदिर भी बन जाए।
जानकारी
चंद्रकांत ने तैयार कर दिया था मांग के अनुरूप मॉडल
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सोमपुरा ने कहा कि उन्होंने ऐसा मॉडल बनाया था, जहां एक तरफ मंदिर होता और एक तरफ मस्जिद, लेकिन विश्व हिंदु परिषद अपनी जिद पर अड़ा रहा। उसका कहना था कि असल जगह पर ही मंदिर बनेगा।
राम मंदिर
पांच साल पहले अयोध्या गए थे चंद्रकांत
सोमपुरा कहते हैं कि 1992 से लेकर 1996 तक अयोध्या में राम मंदिर का काम तेजी से चला था, लेकिन बाद में VHP के पास पैसों की कमी हो गई और मामलों अदालतों में खिंचने लगा। इस वजह से काम धीमा हो गया।
बीते साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को रामलला विराजमान को सौंपने के फैसले के बाद काम ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी।
हालांकि, खुद चंद्रकांत लगभग पांच साल पहले आखिरी बार अयोध्या गए थे।
डिजाइन
ऐसा दिखेगा राम मंदिर
उसके बाद से उनके बेटे आशीष राम मंदिर के प्रोजेक्ट को संभाल रहे हैं। उन्होंने ही नए मंदिर का नया डिजाइन तैयार किया है।
इस डिजाइन के हिसाब से मंदिर की ऊंचाई 161 फीट, चौड़ाई 235 फीट और लंबाई 360 फीट होगी। पहले यह क्रमश: 141 फीट, 160 फीट और 280 फीट होनी थी। नागर शैली में बनने वाली इ मंदिर के गर्भगृह के पास पांच गुबंद होंगे। इसके निर्माण में 3.5-4 साल का समय लग सकता है।