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    #NewsBytesExplainer: क्या था देश को हिला देने वाला निठारी कांड, जिसमें दोनों आरोपी हुए बरी? 
    नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के आरोपियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किया बरी

    #NewsBytesExplainer: क्या था देश को हिला देने वाला निठारी कांड, जिसमें दोनों आरोपी हुए बरी? 

    लेखन नवीन
    संपादन मुकुल तोमर
    Oct 16, 2023
    07:40 pm

    क्या है खबर?

    देश को हिला देने वाला निठारी कांड एक बार फिर चर्चा में आ गया। सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को कई मामलों में बरी कर दिया।

    न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुरेंद्र को 12 और मोनिंदर को 2 मामलों में बरी किया है, जिनमें उन्हें निचली कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।

    आइए निठारी कांड के बारे में विस्तार से जानते हैं।

    2006

    क्या है निठारी कांड?

    दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी गांव की एक घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। यहां पुलिस को कोठी नंबर D-5 के बगल वाले नाले में कई बच्चों के नरकंकाल मिलने शुरू हुए।

    इस कोठी में मालिक मोनिंदर पंढेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली रहता था।

    कोली पर आरोप है कि वह बच्चों को कोठी पर बुलाकर उनका रेप करता है और फिर हत्या करके उनके लाश के टुकड़े नाले में फेंक देता था।

    मामला

    कैसे खुला कोठी का राज? 

    मई, 2006 में पायल नाम की 20 वर्षीय लड़की लापता हो गई थी। वह मोनिंदर की कोठी में रिक्शे से आई थी। उसने रिक्शेवाले को कोठी के बाहर रोका और वापस आकर पैसे देने की बात कही।

    जब वो बाहर नहीं आई तो रिक्शेवाले ने पैसे लेने के लिए कोठी का गेट खटखटाया। तब कोली ने बताया कि पायल काफी देर पहले कोठी से जा चुकी है।

    इससे रिक्शेवाले को कुछ शक हुआ और उसने लड़की के परिजनों सूचना दी।

    दिसंबर

    कैसे पुलिस तक पहुंची बात?

    इसके बाद पायल के पिता ने पुलिस में जाकर अपनी बेटी के कोठी से गायब होने की FIR लिखवाई। इस तरह पहली बार मामला पुलिस के पास पहुंचा।

    इससे पहले भी निठारी गांव से एक दर्जन से ज्यादा बच्चे/लड़कियां गायब हो चुकी थीं।

    जांच के दौरान पुलिस ने लापता पायल के मोबाइल फोन की कॉल डिलेट्स निकालीं, जिसमें उसके हाथ कई अहम सुराग लगे।

    इसी आधार पर पुलिस ने दिसंबर, 2006 को पंढेर की कोठी पर छापा मारा।

    आरोप

    जब पुलिस को मिले एक के बाद एक 19 नरकंकाल

    पायल की गुमशुदगी मामले में जब पुलिस ने छापा मारा तो उसे कोठी के पीछे नाले से एक के बाद एक नरकंकाल मिलने शुरू हो गए। इस खबर से पूरा देश अचंभित रह गया था।

    नाले से बच्चों, अधिकांश लड़कियां, के 19 नरकंकाल मिले थे, जो कई पैकेटों बंद करके फेंके गए थे।

    आरोप है कि कोली कोठी के पास से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ दुष्कर्म करता और फिर उनकी हत्या कर देता था।

    आरोप

    पंढेर और कोली पर लगे थे अंग तस्करी और नरमांस भक्षण जैसे आरोप

    पुलिस जांच के दौरान स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पंढेर और कोली कोठी से मानव अंगों की तस्करी करते थे।

    वह दोनों बच्चों को कोठी में किसी बहाने से बुलाकर पहले उनकी हत्या करते और फिर उनके अंग निकाल लेते थे।

    इस बहुचर्चित मामले में लोगों ने ये तक आरोप लगाए कि दोनों आरोपी बच्चों को मारते थे और फिर गुर्दे और लिवर जैसे उनके अंग खाते थे। हालांकि, ये सभी आरोप जांच में गलत पाए गए।

    जांच

    कुल 19 मामले हुए थे दर्ज, CBI ने अपने हाथ में ले ली थी जांच

    पुलिस ने पंढेर और कोली के खिलाफ कुल 19 केस दर्ज किए थे। जनवरी, 2007 में दोनों आरोपियों का नार्को टेस्ट भी करवाया गया था। इस बाद निठारी कांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी गई।

    CBI ने 2007 में फरवरी से अप्रैल के बीच दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की।

    इन दोनों की निशानदेही पर लापता लड़की के कंकाल की पहचान उसके कपड़ों से की गई।

    कब क्या हुआ ?

    पहली बार 2007 में दोनों को मिली सजा-ए-मौत

    पहली बार मई, 2007 में निचली कोर्ट ने 15 साल की रिम्पा हलदर नाम की बच्ची के अपहरण, रेप और हत्या के मामले में पुंढेर और कोली को मौत की सजा सुई थी।

    मई, 2010 में CBI की एक विशेष कोर्ट ने दोनों को 7 साल की आरती की हत्या का दोषी करार दिया था, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंढेर को सितंबर में बरी कर दिया, जबकि कोली की सजा को बरकरार रखा गया।

    कोर्ट

    कोर्ट में आगे क्या हुआ?

    अक्टूबर, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी मौत की सजा पर पुनर्विचार की कोली की याचिका खारिज कर दी।

    जनवरी, 2015 में रिम्पा की हत्या मामले में उसकी फांसी की सजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया।

    24 जुलाई, 2017 को पायल की हत्या और रेप की कोशिश में CBI कोर्ट ने पंढेर और कोली को दोषी ठहराया था। दोनों को तब ये कुल 8वें मामले में मौत की सजा हुई थी।

    बरी

    दोनों को कुल कितने मामलों में मौत की सजा हुई थी?

    निठारी कांड में मुख्य आरोपी कोली को निचली कोर्ट ने 14 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी, जिनमें से 12 मामलों में हाई कोर्ट से उसे बरी कर दिया है।

    इसके अलावा मोनिंदर को खिलाफ 6 मामले दर्ज थे, जिनमें से 4 में वो पहले ही बरी हो गया था और 2 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।

    अब हाई कोर्ट ने इन दोनों मामलों में भी उसकी फांसी की सजा रद्द कर दी है।

    कारण

    हाई कोर्ट ने क्यों किया दोनों आरोपियों को बरी?

    हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिकाओं में कोली और पंढेर ने कहा था कि इन घटनाओं का कोई गवाह नहीं है और सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराकर फांसी की सजा दी गई है, जिसे रद्द किया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने उनकी इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी और मामले में उसकी भूमिका को "संदेह से परे" साबित करने में नाकाम रहा है।

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