नोएडा: तीन महीनों में साफ होगा ट्विन टावर का मलबा; सुपरटेक को 500 करोड़ का नुकसान
उत्तर प्रदेश के नोएडा में बने सुपरटेक ट्विन टावर को रविवार को गिरा दिया गया। करीब 100 मीटर ऊंचाई वाले इन टावरों को नियंत्रित विस्फोट के जरिये गिराने में महज नौ सेकंड का समय लगा। एक अनुमान है कि विध्वंस की इस कार्रवाई के बाद करीब 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा बचा है, जिसे यहां से हटाने में कुछ दिनों का वक्त लगेगा। आइये जानते हैं कि यह मलबा कैसे हटाया जाएगा।
पूरा मलबा नहीं जाएगा बाहर
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि ट्विन टावर गिराने के बाद बचा हुआ पूरा मलबा बाहर नहीं निकलेगा। लगभग 21,000 क्यूबिक मीटर मलबे को ही टावरों वाली जगह से हटाया जाएगा। बाकी मलबा इन टावरों के बेसमेंट में ही इकट्ठा कर दिया जाएगा। दरअसल, विस्फोट के दौरान टावरों के बेसमेंट में बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिन्हें इस मलबे से भर दिया जाएगा। इसकी योजना टावर गिराने से पहले ही बनाई जा चुकी थी।
तीन महीनों में हटेगा पूरा मलबा
अधिकारियों के अनुसार, इस पूरे मलबे को हटाने में तीन महीने का वक्त लग सकता है। मलबे को हटाने के लिए ट्रकों को लगभग 1,300 चक्कर लगाने पड़ेंगे। अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि नियमों के तहत वैज्ञानिक तरीके से मलबे का निपटान किया जाएगा। इस बारे में अंतिम फैसला क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से आएगा, जो फिलहाल टावर गिराने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग की तरफ से मिले रिपोर्ट का विश्लेषण कर रहा है।
4,000 टन स्टील और लोहा निकलेगा
इस मलबे से कम से कम 4,000 टन लोहा और स्टील निकलेगा। यह लोहे और स्टील को एडिफिस अपनी लागत की आंशिक पूर्ति के लिए इस्तेमाल कर सकेगी। यानी यह नोएडा अथॉरिटी को नहीं सौंपा जाएगा।
टावर गिराने से हुआ 500 करोड़ का नुकसान- कंपनी
सुपरटेक लिमिटेड ने कहा है कि निर्माण और ब्याज की दर आदि सबकुछ मिलाकर टावरों के विध्वंस से उसे 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कंपनी के प्रमुख ने कहा कि टावर गिराने से कंपनी को जमीन, निर्माण लागत, मंजूरी के लिए दिया गया पैसा, बैंकों को दिया ब्याज और ग्राहकों को 12 प्रतिशत ब्याज दर के साथ दिए जाने वाले पैसे समेत कुल 500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
कंपनी ने एडिफिस इंजीनियरिंग को दिए 17.5 करोड़ रुपये
सुपरटेक ने एडिफिस इंजीनियरिंग को ये दोनों टावर गिराने के लिए 17.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इसके अलावा कुछ अन्य भुगतान भी किए गए हैं। दरअसल, कंपनी को अपने खर्च पर ये टावर गिराने का आदेश दिया गया था।
क्यों गिराए गए ट्विन टावर?
सुपरटेक बिल्डर्स ने साल 2009 से 2012 के बीच नोएडा के सेक्टर-93 स्थित एमराल्ड कोर्ट परिसर में 40 और 39 मंजिल के दो नए टावरों का निर्माण किया था। 850 फ्लैट वाले दोनों टावरों के निर्माण के समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति नहीं ली गई थी और इनका निर्माण पार्क के रास्ते पर किया गया था। दोनों टावरों के बीच की दूरी कम होने से लोगों को रोशनी और हवा की परेशानी भी हो रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था टावरों को गिराने का आदेश
इन टावरों के निर्माण को लेकर सोसाइटी का रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट ने साल 2014 में हाउसिंग सोसाइटी के नियमों का उल्लंघन करने पर दोनों टावरों को गिराने का आदेश दिया था। इसके बाद इन्हें बनाने वाली कंपनी सुपरटेक फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित बरकरार रखते हुए इन टावरों को गिराने का आदेश दिया था।