अब CBI ने जासूसी के आरोप में एक पत्रकार और पूर्व नौसेना कमांडर को किया गिरफ्तार
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बधुवार को स्वतंत्र पत्रकार विवेक रघुवंशी और पूर्व नौसेना कमांडर आशीष पाठक को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन लोगों पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और सशस्त्र बलों के बारे में संवेदनशील जानकारी एकत्रित करने और उसे विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ साझा करने का आरोप है। दोनों आरोपियों को बीते दिन हुई छापेमारी की कार्रवाई के बाद गिरफ्तार किया गया है।
CBI की टीम ने 12 जगहों पर की थी छापेमारी
अधिकारियों के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में जासूसी मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद मंगलवार को रघुवंशी और उनके करीबियों के दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और जयपुर स्थित 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। इस छापेमारी के दौरान कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद किए गए थे, जिन्हें कानूनी समीक्षा के लिए भेजा गया है। अभी इस मामले में पूर्व नौसेना कमांडर पाठक की भूमिका का पता नहीं चल पाया है।
स्वतंत्र पत्रकार रघुवंशी पर क्या हैं आरोप?
CBI ने आरोप लगाया कि रघुवंशी कथित तौर पर विभिन्न DRDO परियोजनाओं की प्रगति के बारे में संवेदनशील जानकारी और अन्य डाटा एकत्र कर रहे थे। इन जानकारियों में भारतीय सशस्त्र बलों की भविष्य की खरीद योजनाओं का विवरण भी शामिल है, जो देश की रणनीतिक तैयारियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा रघुवंशी ने मित्र देशों के साथ भारत की रणनीतिक और कूटनीतिक बातचीत से जुड़ी कई गोपनीय जानकारियां भी जुटाई थीं।
अधिकारियों ने क्या कहा?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रघुवंशी ने रक्षा और अंतरिक्ष निर्माण पर केंद्रित अमेरिका के एक स्थानीय समाचार पोर्टल के लिए कुछ रिपोर्ट भी लिखी थीं। एक जांच अधिकारी ने बताया, "इस जांच में पता लगाया जा रहा है कि क्या विदेशों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी और डाटा साझा किया गया था? इसके अलावा रक्षा परियोजनाओं और सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां भी जुटाई जा रही थीं।"
DRDO के वैज्ञानिक पर भी लगे थे गंभीर आरोप
इसी महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र के आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने पुणे में DRDO के लिए काम करने वाले एक वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को भी गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप था कि वह पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव की एक महिला एजेंट के संपर्क में थे, जिसे वह कथित तौर पर व्हाट्सऐप और फोन कॉल के जरिए गोपनीय सूचनाएं उपलब्ध करा रहे थे। ATS ने इसे हनी ट्रैप से जुड़ा मामला बताया था।