नोएडा के ट्विन टावर गिराने के लिए किस तकनीक का इस्तेमाल होगा?
क्या है खबर?
नोएडा में बने सुपरटेक ट्विन टावर आज जमींदोज हो जाएंगे। करीब 100 मीटर की ऊंचाई और 40 मंजिलों वाले इन टावर को गिराने में कुछ ही सेकंड का वक्त लगेगा।
यह नियंत्रित विस्फोटक के जरिये गिराए जाने वाली भारत की सबसे ऊंची इमारत होगी। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और दोपहर 2.30 बजे बटन दबाकर इन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा।
आइये जानते हैं कि इन टावरों का गिराने के लिए क्या तकनीक इस्तेमाल की जाएगी।
जानकारी
3,500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का होगा इस्तेमाल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नोएडा अथॉरिटी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एडिफिस इंजीनियरिंग और साउथ अफ्रीकन जेट डेमोलिशन कंपनी को इन टावरों को गिराने का काम सौंपा है।
इन दोनों टावरों में 800 से अधिक फ्लैट हैं और इन्हें गिराना आसान काम नहीं होगा। इन्हें ध्वस्त करने के लिए 3,500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक इस्तेमाल किया जा रहा है। नियंत्रित विस्फोट होने के बाद ये इमारतें मंजिल दर मंजिल अंदर की तरफ गिरेंगी।
जानकारी
पहले सियेन टावर को गिराया जाएगा
सबसे पहले 97 मीटर ऊंचाई वाले सियेन टावर और उसके बाद 100 मीटर ऊंचे अपेक्स टावर में विस्फोट किया जाएगा। विस्फोट के समय केवल चुनिंदा लोगों की टीम ही इमारतों के पास सुरक्षित दूरी पर मौजूद रहेगी।
तकनीक
इस तकनीक का होगा इस्तेमाल
इंडिया टु़डे के अनुसार, ट्विन टावरों को गिराने के लिए इम्पलोशन तकनीक इस्तेमाल की जाएगी। यह इमारतें ढहाने में प्रयोग होने वाली कई तकनीकों में एक है।
इसका प्रयोग इमारत को अंदर की तरफ गिराने के लिए किया जाता है। यानी इस तकनीक से गिराए गई इमारत का मलबा अंदर की तरफ गिरेगा। इसके लिए विस्फोटक और डेटोनेटर की जरूरत होती है और एक निश्चित समय पर इमारत के कॉलम और बीम समेत स्पोर्टिंग स्ट्रक्चर को हटाना होता है।
अनुमान
35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने का अनुमान
एडिफिस इंजीनियरिंग के पार्टनर उत्कर्ष मेहता ने बताया कि पास की इमारतों को नुकसान पहुंचने से रोकने के लिए टावरों के पास बड़े गड्ढे खोदे गए हैं। अतिरिक्त सुरक्षा के लिए इमारतों के बीच कंटेनर भी रखे गए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि दोनों टावरों को गिराने के बाद 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने का अनुमान है। इनमें से 6,000-7,000 क्यूबिक मीटर टावरों के बेसमेंट में इकट्ठा हो जाएगा। बाकी कचरा आसपास फैलेगा।
जानकारी
मेडिकल इमरजेंसी के लिए ग्रीन कॉरिडोर
नोएडा अथॉरिटी और पुलिस ने विस्फोट के समय किसी भी तरह की मेडिकल इमरजेंसी को ध्यान में रखते हुए ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया है। पुलिस ने रास्ते खाली कराकर उनकी बैरिकेडिंग कर दी है और किसी को भी अंदर आने की इजाजत नहीं है।
कारण
क्यों गिराए जा रहे टावर?
सुपरटेक बिल्डर्स ने साल 2009 से 2012 के बीच नोएडा के सेक्टर-93 में एमराल्ड कोर्ट परिसर में 40 और 39 मंजिल के दो नए टावरों का निर्माण किया था।
950 फ्लैट वाले दोनों टावरों के निर्माण के समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति भी नहीं ली गई थी और इनका निर्माण पार्क के रास्ते पर किया गया था।
दोनों टावरों के बीच की दूरी कम होने से लोगों को रोशनी और हवा की परेशानी हो रही थी।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
इन टावरों के निर्माण को लेकर सोसायटी का रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा था।
कोर्ट ने साल 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दोनों टावरों को गिराने के आदेश दिए थे। इसके बाद इन्हें बनाने वाली कंपनी सुपरटेक फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित बरकरार रखते हुए इन टावरों को गिराने का आदेश दिया था।