आज गिराए जाएंगे नोएडा के ट्विन टावर, तैयारियां पूरी
आज दोपहर दिल्ली से सटे नोएडा में बने ट्विन टावर्स को ढहा दिया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और आसपास के घरों को खाली करवा लिया गया है। नौ साल की कानूनी लड़ाई के बाद अवैध घोषित किए गए इन टावरों को विस्फोटक की मदद से गिराया जाएगा। दोनों टावरों में 3,700 टन विस्फोटक लगाया गया है और इन्हें नियंत्रित विस्फोट के जरिये कुछ ही सेकंड में ध्वस्त कर दिया जाएगा।
100 मीटर है टावरों की ऊंचाई
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर स्थित सेक्टर 93A में बने इन दो टावरों में 850 फ्लैट्स हैं और इनकी ऊंचाई करीब 100 मीटर है। पहले इन्हें 21 अगस्त को गिराया जाना था, लेकिन नोएडा अथॉरिटी की मांग पर समयसीमा को एक हफ्ते आगे बढ़ा दिया गया था। विस्फोट के बाद होने वाले मलबे को फैलने से रोकने के लिए बड़े स्तर पर प्रबंध किए गए हैं और धूल पर नियंत्रण पाने के लिए एंटी स्मॉक गन और दूसरे इंतजाम हैं।
आधे घंटे के लिए बंद हो जाएगा एक्सप्रेसवे
दोपहर 2.30 बजे इन टावरों को नियंत्रित विस्फोट के जरिये गिरा दिया जाएगा। इसे देखते हुए 2.15 बजे से 2.45 बजे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे बंद रहेगा। वहींं पूरे शहर में नो फ्लाई जोन घोषित रहेगा। टावरों के एक नॉटिकल मील की दूरी में एयर स्पेस बंद रहेगा और किसी भी उड़ान की इजाजत नहीं होगी। जिस जगह ये ट्विन टावर स्थित हैं, उसके आसपास से निवासियों के साथ-साथ उनके वाहनों, पालतू जानवरों और मवेशियों को हटा दिया गया है।
मेडिकल इमरजेंसी के लिए ग्रीन कॉरिडोर
नोएडा अथॉरिटी और पुलिस ने विस्फोट के समय किसी भी तरह की मेडिकल इमरजेंसी को ध्यान में रखते हुए ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया है। पुलिस ने रास्ते खाली कराकर उनकी बैरिकेडिंग कर दी है और किसी को भी अंदर आने की इजाजत नहीं है।
3,500 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने का अनुमान
ट्विन टावरों को गिराने का काम एडिफिस इंजीनियरिंग नामक कंपनी को सौंपा गया है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी उत्कर्ष मेहता ने बताया कि उन्हें पूरा भरोसा है कि विस्फोट योजना के मुताबिक होगा। आसपास की इमारतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। एक अधिकारी ने बताया कि दोनों टावरों को गिराने के बाद 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने का अनुमान है। इनमें से 6,000-7,000 क्यूबिक मीटर टावरों के बेसमेंट में इकट्ठा हो जाएगा।
क्यों गिराए जा रहे टावर?
सुपरटेक बिल्डर्स ने साल 2009 से 2012 के बीच नोएडा के सेक्टर-93 में एमराल्ड कोर्ट परिसर में 40 और 39 मंजिल के दो नए टावरों का निर्माण किया था। 950 फ्लैट वाले दोनों टावरों के निर्माण के समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति भी नहीं ली गई थी और इनका निर्माण पार्क के रास्ते पर किया गया था। दोनों टावरों के बीच की दूरी कम होने से लोगों को रोशनी और हवा की परेशानी हो रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
इन टावरों के निर्माण को लेकर सोसायटी का रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट ने साल 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दोनों टावरों को गिराने के आदेश दिए थे। इसके बाद इन्हें बनाने वाली कंपनी सुपरटेक फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित बरकरार रखते हुए इन टावरों को गिराने का आदेश दिया था।