कोरोना वायरस: मेडिकल टीम पर हमला करने पर होगी सात साल की जेल, पांच लाख जुर्माना
देश में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी बीच चिकित्सक, चिकित्साकर्मी अस्पतालों में जान की परवाह किए बिना संक्रमितों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं। इसके बाद भी कई जगहों पर मेडिकल टीम पर हमला करने की घटनाएं हो रही है। इसको देखते हुए सरकार ने चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए कड़ा कदम उठाया है। अब चिकित्सा टीम पर हमला करने वालों को सात साल की जेल और पांच लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
दोषियों को होगी तीन महीने से लेकर सात साल तक की सजा
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि मेडिकल टीम पर हमला करने वालों को तीन महीने से पांच साल तक सजा होगी। गंभीर हमला होने पर यह सजा छह महीने से सात सात साल तक होगी। इसके अलावा हमलावर को जुर्माना के रूप में 50 हजार से पांच लाख रुपये तक देना होगा। उन्होंने बताया कि हमले में स्वास्थ्यकर्मियों की गाड़ी या क्लिनिक को नुकसान होता है तो हमलवारों से बाजार उसकी मूल्य से दोगुनी कीमत वसूल की जाएगी।
कानून में बदलाव कर लागू किया जाएगा अध्यादेश
केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने बताया राष्ट्रीय महामारी कानून में बदलाव कर अध्यादेश लागू किया जाएगा। जिसके तहत डॉक्टरों पर हमला गैरजमानती अपराध होगा। मामले की 30 दिन में जांच पूरी होगी और एक साल में फैसला सुनाते हुए दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।
कई राज्यों में हुए हैं डॉक्टरों पर हमले
कोरोना के खिलाफ जंग में लोगों की जान बचाने में जुटे चिकित्साकर्मियों पर कई राज्यों में हमला होने की घटनाएं हुई हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और बेंगलुरू में कोरोना संदिग्धों की जांच के लिए पहुंचे स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव और हमले हो चुके हैं। जिनमें कई चिकित्साकर्मी घायल हुए हैं। इसी तरह चेन्नई, आंध्र प्रदेश में डॉक्टरों की कोरोना से मौत के बाद उन्हें दफनाने या अंतिम संस्कार नहीं करने देने का मामला भी सामने आया है।
सरकार ने पहले ही कर दी थी 50 लाख के बीमा की घोषणा
केंद्र सरकार ने गत 26 मार्च को देश के सभी चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों को 50-50 लाख रुपये का बीमा कवर देने की घोषणा की थीं। उसके बाद राज्य सरकारों ने भी उनके लिए अलग से 50-50 लाख रुपये के बीमा कवर की घोषणा की थी।
गृहमंत्री के आश्वासन के बाद डॉक्टर्स ने वापस लिया सांकेतिक धरने का फैसला
इससे पहले सुबह गृहमंत्री अमित शाह ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और डॉक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर उनके योगदान की प्रशंसा की थीं। शाह ने डॉक्टरों को भरोसा दिया था कि सरकार पूरी तरह से उनके साथ खड़ी है और उनकी सुरक्षा के लिए जो हो सकेगा, वह करेगी। उन्होंने डॉक्टरों से 22 मार्च के सांकेतिक विरोध को वापस लेने की अपील की थीं। गृहमंत्री के आश्वासन के बाद IMA ने सांकेतिक विरोध का फैसला वापस ले लिया।
IMA ने दी थी सांकेतिक विरोधी की चेतावनी
मेडिकल टीमों पर हो रहे हमलों के विरोध में IMA ने अपने डॉक्टरों को 22 मार्च को रात नौ बजे मोमबत्ती जलाने को कहा था। इस विरोध को 'व्हाइट अलर्ट' का नाम देते हुए IMA ने कहा है कि ये केवल चेतावनी है। अगर सरकार स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए कोई कानून नहीं लाती तो 23 अप्रैल को 'ब्लैक डे' बनाने का फैसला भी लिया गया है और सभी डॉक्टर काला फीता बांध काम करेंगे।
देश में बनाए 723 कोरोना अस्पताल
जावड़ेकर ने बताया कि देश में कोरोना के 723 अस्पताल हैं और एकल लाख 86 हजार आइसोलेशन बेड तैयार हैं। 24 हजार ICU और 12,190 वैंटिलेटर तैयार है। उन्होंने कहा कि आज 77 कंपनियां PPE बना रही हैं और 25 लाख N-95 मास्क उपलब्ध हैं।
देश में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति
भारत में बुधवार सुबह आठ बजे तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 19,984 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 640 लोगों की मौत हुई है, वहीं 3,870 को सफल इलाज के बाद घर भेजा जा चुका है। महाराष्ट्र देश का सबसे अधिक प्रभावित राज्य बना हुआ है और यहां अब तक 5,218 लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया जा चुका है, वहीं 251 को इसके कारण जान गंवानी पड़ी है।