किसान आंदोलन: 29 नवंबर को 60 ट्रैक्टर और 1,000 किसान पहुंचेंगे संसद- राकेश टिकैत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करने के बाद भी किसानों ने अभी आंदोलन को खत्म करने की घोषणा नहीं की है। इस बीच भारतीय किसान संघ (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 29 नवंबर को संसद तक टै्रक्टर मार्च निकालने का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को अभी तक रद्द नहीं किया गया है। उस दिन 60 ट्रैक्टरों के जरिए करीब 1,000 किसान संसद तक मार्च करेंगे।
सरकार द्वारा खोले गए रास्तों से गुजरेंगे ट्रैक्टर- टिकैत
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, टिकैत ने कहा, "संसद मार्च के दौरान ट्रैक्टर उन रास्तों से गुजरेंगे, जिन्हें सरकार ने खोल रखा है। हम पर इल्जाम लगा था कि हमने रास्ते बंद कर रखें हैं। हमने रास्ते बंद नहीं किए। हमारा आंदोलन सरकार से बात करने का है।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार जब हमें बुलाएगी और समय देगी तो हम सभी मुद्दों पर बात करेंगे। कृषि कानूनों को वापस ले लेने के आश्वासन से ही किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा।"
MSP पर कानून लाने के लिए बनाया जाएगा दबाव- टिकैत
टिकैत ने कहा, "अन्य मुद्दों के अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून के लिए दबाव बनाने को कम से कम 1,000 किसान संसद पर जमा होंगे। इसी तरह पराली को लेकर कानून और बिजली को लेकर कानून बनाने मांग को लेकर भी सरकार को चिट्ठी लिखी जाएगी।" उन्होंने कहा, "हम MSP पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। सरकार को पिछले एक साल में विभिन्न घटनाओं में हुई 750 किसानों की मौत की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।"
26 नवंबर को 'आंशिक जीत' के रूप में मनाएंगे किसान
इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को हुई बैठक में निर्णय किया था कि कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे किसान 26 नवंबर को आंदोलन को एक साल पूरे होने पर 'आंशिक जीत' के रूप में मनाएंगे। इसके लिए देशभर से किसान आंदोलन स्थलों पर जमा होंगे। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय किसान संगठनों द्वारा दुनिया भर में एकजुटता कार्यक्रम आयोजित किए जाने की भी योजनाएं बनाई जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर को किया था कानूनों की वापसी का ऐलान
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर कहा था, "हमारी सरकार छोटे किसानों के कल्याण के लिए सत्यनिष्ठा से कानून लेकर आई थी, लेकिन यह बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।" उन्होंने कहा था, "29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।" उस दौरान उन्होंने किसानों से फिर से घरों को लौटने की अपील भी की थी।
किसानों ने कानूनों की वापसी तक बॉर्डर पर डटे रहने का किया था निर्णय
प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के बाद किसान नेताओं ने कानूनों के आधिकारिक रूप से निरस्त नहीं होने तक बॉर्डर पर डटे रहने का निर्णय किया था। SKM के सदस्य सुदेश गोयत ने तो यहां तक कहा था कि किसान कृषि कानूनों पर केंद्र पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। इसके बाद मंगलवार को सरकार ने कहा था कि वह कानूनों को निरस्त करने के लिए तीन की जगह एक ही विधेयक लेकर आएगी और MSP पर भी विचार किया जाएगा।