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बच्चे के साथ ओरल सेक्स गंभीर यौन हमला नहीं- इलाहाबाद हाई कोर्ट
बच्चे के साथ ओरल सेक्स गंभीर यौन हमला नहीं- इलाहाबाद हाई कोर्ट

बच्चे के साथ ओरल सेक्स गंभीर यौन हमला नहीं- इलाहाबाद हाई कोर्ट

Nov 24, 2021
12:59 pm

क्या है खबर?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक निचली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि बच्चे के साथ ओरल सेक्स गंभीर यौन हमले की श्रेणी में नहीं आता है। हाई कोर्ट ने मामले में आरोपी की सजा भी घटा दी है और इसे 10 साल से घटाकर सात साल कर दिया है। कोर्ट ने आरोपी पर 5,000 रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। पूरा मामला क्या है, आइए आपको बताते हैं।

मामला

आरोपी ने पैसे का लालच देकर किया था बच्चे के साथ ओरल सेक्स

आरोपी सोनू कुशवाहा ने पैसे का लालच देकर एक बच्चे के साथ ओरल सेक्स किया था। पीड़ित के पिता का आरोप है कि कुशवाहा उसके घर आया और उसके 10 वर्षीय बेटे को अपने साथ लेकर चला गया। इसके बाद कुशवाहा ने बच्चे को 20 रुपये देते हुए उसके साथ ओरल सेक्स किया। घटना की जानकारी मिलने पर पीड़ित के पिता ने कुशवाहा के खिलाफ केस दर्ज कराया था।

सजा

POCSO कोर्ट ने इन धाराओं में सुनाई थी कुशवाहा को सजा

कुशवाहा के खिलाफ मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन अपराध) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई थीं। झांसी की विशेष POCSO कोर्ट ने उसे धारा 377 और 506 के अलावा POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था। कोर्ट ने उसे इन धाराओं में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी।

हाई कोर्ट का फैसला

हाई कोर्ट ने कहा- धारा 6 के तहत नहीं आता अपराध

कुशवाहा ने इस सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की थी जिसने कल अपना फैसला सुनाया। हाई कोर्ट के सामने मुख्य सवाल ये था कि बच्चे के मुंह में लिंग डालना और वीर्य गिराना POCSO की धारा 5/6 या 9 के दायरे में आएगा या नहीं। जस्टिस अनिल कुमार ओझा की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ये अपराध इन दोनों ही धाराओं के दायरे में नहीं आता और धारा 4 के तहत अंतर्गत आता है।

कारण

हाई कोर्ट ने अपने फैसले के पक्ष में क्या दलील दी?

हाई कोर्ट ने कहा कि मुंह में लिंग डालना गंभीर यौन हमले या यौन हमले की श्रेणी में नहीं आता है जो कि POCSO अधिनियम की धारा 5/6 और धारा 9 के तहत आते हैं, इसलिए मामले में ये दोनों ही धाराएं नहीं लगेंगी। कोर्ट ने कहा कि ये अपराध पेनिट्रेटिव यौन हमले की श्रेणी में आता है जो POCSO अधिनियम की धारा 4 के तहत अपराध है। इस धारा के तहत उसे सात साल की सजा हुई है।