ट्रैक्टर रैली हिंसा: सरकार ने पुलिस कार्रवाई को ठहराया सही, कहा- अन्य कोई विकल्प नहीं था
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सही ठहराया है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि उस दौरान पुलिस के पास स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए अन्य कोई विकल्प मौजूद नहीं था। संसद के बजट सत्र के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने जवाब देते हुए पुलिस का बचाव किया है।
प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने किया था लाठीचार्ज
बता दें कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली में किसानों की ITO, लाल किला सहित मुकरबा चौक, गाजीपुर, सीमापुरी, नांगलोई, टिकरी बॉर्डर पर पुलिस के साथ जबरदस्त भिडंत हुई थी। इस घटना में करीब 394 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों को ट्रैक्टर से रौंदने का भी प्रयास किया था। इसके बाद पुलिस ने स्थिति नियंत्रण के लिए लाठीचार्ज करने के साथ वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागे थे। इसमें कुछ प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे।
पुलिस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने संसद में पूछा था लिखित सवाल
इंडिया टुडे के अनुसार गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई पुलिस की कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने संसद में लिखित सवाल पूछा था। इसका जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, "प्रदर्शनकारी किसानों की हिंसा रोकने तथा स्थित पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस के पास लाठीचार्ज, वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागने के अलावा अन्य कोई विकल्प मौजूद नहीं था। स्थिति के अनुसार पुलिस की कार्रवाई ठीक थी।"
प्रदर्शनकारियों ने किया था कोरोना महामारी के नियमों का उल्लंघन
गृह राज्य मंत्री ने कहा कि विरोध के दौरान किसानों ने कोरोना महामारी से बचाव के नियमों का खुलकर उल्लंघन किया था। किसान बिना सोशल डिस्टेसिंग और मास्क के एकत्र हुए थे। इसके अलावा गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारियों ने हिंसा को अंजाम दिया और सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। प्रदर्शनकारी किसान रैली की सहमति के शर्तों को तोड़कर आगे बढ़े और पुलिस बेरिकेडिंगों को भी तोड़ दिया। इसके अलावा पुलिस पर भी हमला किया था।
पुलिस ने किसानों के खिलाफ दर्ज किए कुल 39 मामले
गृह राज्य मंत्री ने बताया दिल्ली पुलिस ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अब तक कुल 39 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें एक मामला आत्महत्या करने का भी है। पुलिस सभी मामलों की गंभीरता से जांच कर रही है।
जान गंवाने वाले किसानों को नहीं मिलेगा मुआवजा- सरकार
सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में स्पष्ट कर दिया कि किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में विपक्ष की ओर से लिखित में सवाल पूछा गया था। जिसका जवाब देते हुए सरकार ने मुआवजा देने से इनकार कर दिया। बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अब तक 40 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है।
दिल्ली पुलिस आयुक्त ने आलोचनाओं पर पूछा सवाल
पुलिस ने टिकरी बॉर्डर सहित अन्य जगहों पर सड़क को खोदकर वहां मोटी और नुकीली कीलें लगाई है। इसके अलावा कई स्तर की बैरिकेडिंग कर पत्थरों के बीच कंक्रीट भरकर स्थाई दीवार बनाई है। इसको लेकर पुलिस की आलोचना हो रही है। इस पर पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने कहा, "गणतंत्र दिवस हिंसा पर किसी ने सवाल क्यों नहीं पूछा? हमने अभी किया ही क्या है, लेकिन बेरिकेडिंग को मजबूत किया है, ताकि वह फिर से नहीं टूटे।"