G-20 शिखर सम्मेलन के संयुक्त बयान के पीछे किन राजनयिकों ने निभाई बड़ी भूमिका?
क्या है खबर?
दिल्ली में जारी G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत सदस्य देशों के बीच आम सहमति बनाने में कामयाब रहा।
इस दौरान सर्वसम्मति से एक संयुक्त बयान 'दिल्ली घोषणा' जारी किया गया, जिसे कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है।
इसके पीछे भारतीय विदेश सेवा (IFS) के 4 राजनयिकों की कई महीनों की कड़ी मेहनत है। इन राजनायिकों में अभय ठाकुर, नागराज नायडू, ईनम गंभीर और आशीष सिन्हा शामिल हैं।
परिचय
अभय ठाकुर
अभय ठाकुर विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात हैं और भारत के G-20 शेरपा अमिताभ कांत के डिप्टी शेरपा भी हैं।
ठाकुर मॉरीशस और नाइजीरिया में भारत के राजदूत रह चुके हैं और उन्होंने विदेश मंत्रालय में नेपाल और भूटान डेस्क पर काम किया है।
वह विदेश मंत्री के कार्यालय में निदेशक भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान रूसी भाषा सीखी थी, जो उनके लिए काफी मददगार साबित हुई।
परिचय
नागराज नायडू काकनूर
1998 बैच के IFS अधिकारी नागराज नायडू काकनूर चीनी भाषा के अच्छे जानकार हैं।
उन्होंने बीजिंग, हांगकांग और गुआंगझाउ में चार अलग-अलग पदों पर कार्य किया है।
उन्होंने विदेश मंत्रालय के आर्थिक कूटनीति प्रभाग को भी संभाला है और यूरोप पश्चिम प्रभाग का नेतृत्व किया है जहां वह यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन समेत प्रमुख G-7 देशों के साथ संबंधों के प्रभारी थे।
वह संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि भी रह चुके हैं।
परिचय
ईनम गंभीर
संयुक्त बयान तैयार करने वाली भी टीम में एकमात्र महिला अधिकारी ईनम गंभीर G-20 सम्मेलन की संयुक्त सचिव हैं। वह 2005 बैच की IFS अधिकारी हैं।
उन्होंने न्यूयॉर्क में स्थित UN मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के अध्यक्ष के कार्यालय में शांति और सुरक्षा मुद्दों पर वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य किया है।
गंभीर ने 2011 से 2016 तक दिल्ली में काम करते हुए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से संबंधित मुद्दों को संभाला था।
परिचय
आशीष सिन्हा
2005 बैच के ही अन्य IFS अधिकारी आशीष सिन्हा स्पेनिश भाषा में पारंगत हैं। वह मैड्रिड, काठमांडू, न्यूयॉर्क और नैरोबी में अपनी सेवा दे चुके हैं।
सिन्हा ने दिल्ली में विदेश मंत्री के कार्यालय के साथ-साथ पाकिस्तान के मामलों के लिए डेस्क अधिकारी के रूप में काम किया है।
G-20 में संयुक्त सचिव बनने से पहले वह पिछले 7 वर्षों से बहुपक्षीय परिदृश्य में भारत के लिए बातचीत कर रहे थे।
बयान
G-20 शेरपा ने क्या कहा?
G-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत ने रविवार सुबह ट्विटर (एक्स) पर बताया कि G-20 का सबसे जटिल हिस्सा रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण भूराजनीतिक परिदृश्य पर एक आम सहमति बनाना था।
उन्होंने लिखा, "यह 200 से अधिक घंटों की वार्ताओं, 300 द्विपक्षीय बैठकों और 15 ड्राफ्टों के बाद पूरा हो पाया। इसमें मुझे दो प्रतिभाशाली अधिकारियों नागराज नायडू और ईनम गंभीर ने बहुत सहयोग किया।'
घोषणा
क्या हैं दिल्ली घोषणा की 5 प्रमुख बातें?
सम्मेलन के पहले दिन एक संयुक्त बयान 'दिल्ली घोषणा' पर सहमति बनी थी, जिसे सभी सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया था।
बता दें कि 'दिल्ली घोषणा' में 5 प्रमुख बिंदु हैं, जिनमें मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास, सतत विकास लक्ष्य (SDG) पर प्रगति में तेजी, सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता, 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थाएं और बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना शामिल है।
युद्ध
घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध को लेकर क्या कहा गया?
घोषणा पत्र में सबसे बड़ी अड़चन यूक्रेन युद्ध था। इसमें यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का आह्वान किया गया है।
G-20 के सदस्य देशों से 'इलाकों पर कब्जा करने के लिए ताकत के इस्तेमाल' या किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ कार्य करने से बचने का आग्रह किया गया है।
इस बात पर जोर दिया गया है कि परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग करने की धमकी देना 'अस्वीकार्य' होगा।