छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने इस साल 27 ग्रामीणों की हत्या की, पुलिस मुखबिर होने का था शक
क्या है खबर?
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बीच नक्सली भी सक्रिय हैं। पिछले दिनों बस्तर में नक्सलियों ने पुलिस की मुखबिरी के आरोप में 3 ग्रामीणों की हत्या कर दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बस्तर संभाग में पिछले एक दशक में 'पुलिस मुखबिर' के रूप में काम करने का आरोप लगाते हुए नक्सलियों ने 569 ग्रामीणों की हत्याएं की हैं।
नक्सली निहत्थे ग्रामीणों को मारकर अपना डर फैलाने की कोशिश करते हैं और इस साल यहां ऐसी करीब 27 हत्याएं हुईं हैं।
रिपोर्ट्स
हर साल 50-60 ग्रामीणों की होती है हत्या- पुलिस
न्यूज 18 की रिपोर्ट्स के अनुसार, 2018 के छत्तीसगढ़ चुनावों के दौरान यहां नक्सलियों ने कम से कम 79 ग्रामीणों का अपहरण कर लिया गया, जिनकी बाद में हत्या कर दी गई थी।
छत्तीसगढ़ नक्सल विरोधी बल का कहना है कि नक्सली सुरक्षाबलों, राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के अलावा निर्दोष ग्रामीणों को भी निशाना बनाते हैं।
आंकड़ों के पता चला है कि हर साल मुखबिरी के आरोप में कम से कम 50-60 ग्रामीणों की हत्या होती है।
बस्तर
छत्तीसगढ़ पुलिस अधिकारियों ने क्या कहा?
बस्तर रेंज के पुलिस महानिदेशक (IG) पी सुंदरराज ने कहा, "नक्सली अकसर बिना सोचे-समझे उन ग्रामीणों को निशाना बनाते हैं, जो उनके आदेशों का पालन नहीं करते या उनका विरोध करते हैं।"
उन्होंने कहा, "ग्रामीणों की लक्षित हत्या की घटनाएं वहां होती है, जहां सरकारी मदद पहुंच रही है। ये ग्रामीणों में भय की मनोविकृति फैलाने का तरीका है।
उन्होंने कहा, "जिन ग्रामीणों की मुखबिर बताकर हत्याएं की गई हैं, वे किसी भी तरह से पुलिस से जुड़े नहीं थे।"
सुंदरराज
छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावितों के लिए क्या कर रही है सरकार?
छत्तीसगढ़ सरकार के पास आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और नक्सलियों द्वारा मारे गए पीड़ितों के परिवारों के लिए भी पुनर्वास नीति है।
बस्तर IG सुंदरराज ने कहा, "ग्रामीणों के बीच विश्वास पैदा करना हमारे द्वारा किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। नक्सली आम तौर पर ग्रामीणों की सहानुभूति पाने के लिए उन्हें सरकार के खिलाफ उकसाते हैं।"
उन्होंने कहा, "दूरदराज के आदिवासी गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई सामुदायिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।"
मुखबिर
छत्तीसगढ़ में पुलिस मुखबिर कौन हैं?
रिपोर्ट्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ नक्सल विरोधी बल के पास मुखबिरों की एक अपनी टीम होती है, जो प्रभावित क्षेत्र में जानकारी निकालने के लिए गावों के लोगों के साथ घुलमिल जाती है।
छत्तीसगढ़ खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "नक्सली, जिन्होंने हथियार आत्मसमर्पण कर दिए थे, वे अकसर पुलिसबल के लिए जानकारी जुटाने का काम करते हैं।"
उन्होंने बताया, "पिछले 5 सालों में 140 लोगों को बल में शामिल करते हुए पुनर्वासित किया गया है।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ पुलिस ने 'बस्तर फाइटर्स' नामक एक विशेष इकाई गठित की है, जिसमें 2,100 सदस्य हैं।
इसमें नक्सल प्रभावित गांवों से 1,500 लड़कों और 600 लड़कियों को चुना और उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।
छत्तीसगढ़ में कई ऐसे इलाके हैं, जहां अभी स्थानीय समर्थन के बिना पुलिस का पहुंचना मुश्किल है, जिसमें ये इकाई महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
इसके अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की अपनी एक बस्तर बटालियन है, जिसमें लगभग 1,000 स्थानीय युवा हैं।