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    #NewsBytesExclusive: कोरोना वायरस मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर के अनुभव और सुझाव

    #NewsBytesExclusive: कोरोना वायरस मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर के अनुभव और सुझाव

    लेखन भारत शर्मा
    Apr 05, 2020
    01:06 pm

    क्या है खबर?

    दुनिया में प्रतिदिन बढ़ती कोरोना वायरस संक्रमितों और मृतकों की संख्या ने लोगों के दिलों में डर भर दिया है, लेकिन कोरोना से डरना नहीं है, लड़ना है।

    राजस्थान के जयपुर स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल और मेडिकल कॉलेज (SMS) के मेडिसिन विभाग के एडिशनल सुपरिटेंडेंट और प्रिसिंपल स्पेशलिस्ट डॉ अजीत सिंह ने न्यूजबाइट्स से हुई खास बातचीज में कुछ ऐसी ही बातें कहीं।

    जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा।

    कोरोना का डर

    डर के कारण घट जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता- डॉ सिंह

    कोरोना उपचार के कोर ग्रुप में शामिल डॉ सिंह ने कहा, "इंटरनेट और मीडिया की खबरों से लोगों में बहुत अधिक डर पैदा हो गया है। इससे लोगों का ब्लड प्रेशर और हृदय गति के बढ़ने के साथ-साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। ऐसे में यदि व्यक्ति संक्रमित हो जाए तो यही डर उसकी जिंदगी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।"

    उन्होंने लोगों से कोरोना वायरस को लेकर ज्यादा परेशान नहीं होने की अपील की।

    बयान

    "बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना से मुकाबले के लिए बहुत जरूरी"

    डॉ सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए व्यक्ति में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता का होना बहुत जरूरी है। इसके लिए मन से इसके डर को निकालकर आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। आत्मविश्वास से संक्रमण को जल्दी खत्म किया जा सकता है।

    इलाज

    कोरोना से मुकाबले में मददगार साबित हो रहा है BCG का टीका- डॉ सिंह

    डॉ सिंह के अनुसार काली खांसी के लिए लगाए जाने वाला BCG का टीका कोरोना वायरस से मुकाबले में मददगार साबित हो रहा है।

    उन्होंने कहा कि अध्ययन के अनुसार BCG का टीका प्रोटेक्टिव मैकेनिजम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और इसकी वजह से कोरोना का असर कम होता है।

    साथ ही उन्होंने कहा कि मौसम की वजह से आने वाले समय में देश में इसके मामलों में कमी आ सकती है।

    थैरेपी

    "कोरोना के चयनित मरीजों में किया जा रहा एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी का उपयोग"

    डॉ सिंह ने बताया कि राजस्थान में सबसे पहले संक्रमित पाए गए इटली के तीन मरीजों के उपचार में कोर पैनल ने एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी से उपचार कर उन्हें ठीक किया था।

    उन्होंने कहा, "ICMR ने भी कोरोना के उपचार के लिए उसकी स्वीकृति दे दी, लेकिन इसका उपयोग हाइपरटेंशन, लंग्स इंफेक्शन और मल्टी ऑर्गन फेलियर्स वाले मरीजों में ही किया जाता है। शेष संक्रमितों के इलाज के लिए उनके लक्षणों के आधार पर दवाइयों का चयन किया जाता है।"

    जानकारी

    एड्स और स्वाइन फ्लू के मरीजों को दी जाती है एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी- डॉ सिंह

    डॉ सिंह ने बताया कि एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी मूल रूप से एड्स और स्वाइन फ्लू के मरीजों को दी जाती है। इससे ग्रसित मरीजों में लंग्स इंफेक्शन और मल्टी ऑर्गन फेलियर्स की शिकायत अधिक होती है। कोरोना के कुछ मरीजों में ऐसे लक्षण होते हैं।

    फिर से संक्रमण

    "स्वस्थ हुए कोरोना संक्रमित मरीजों में भी रहता है पुन: संक्रमण का खतरा"

    डॉ सिंह ने बताया कि वायरस जनित बीमारियों में पुन: संक्रमण का खतरा रहता है और यही स्थिति कोरोना वायरस के साथ भी है।

    उन्होंने कहा, "14 दिन के उपचार के बाद पूरी तरह से स्वस्थ हुए मरीजों में से 10 प्रतिशत के फिर से संक्रमित होने का खतरा रहता है। ऐसे में उपचार के बाद 14 दिन तक निगरानी रखी जाती है... अस्थमा, लंग्स इंफेक्शन, हृदय रोगियों में संक्रमण के दोबारा होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।"

    उपचार

    इस रणनीति से काम करते हैं डॉक्टर्स

    डॉ सिंह ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर और चिकित्साकर्मियों की अलग-अलग टीमें बना रखी है। एक टीम की ड्यूटी सात दिन के लिए लगाई जाती है। सात दिन बाद उनका टेस्ट कराया जाता है और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उन्हें सात दिन का आराम दिया जाता है।

    कोरोना के खतरे को देखते हुए सभी चिकित्सक और चिकित्साकर्मी घर जाने पर भी सुरक्षा की दृष्टि से अपने परिवार से दूरी बनाकर रखते हैं।

    रोबोट

    "संक्रमित मरीजों के उपचार में ली जा रही है रोबोट की मदद"

    चिकित्साकर्मियों के बचाव के लिए रोबोट की मदद भी ली जा रही है।

    डॉ सिंह ने बताया, "चिकित्सकों की सुरक्षा के लिहाज से अब अस्पताल में संक्रमितों के उपचार में रोबोट की मदद ली जा रही है। अभी तक एक ही रोबोट आया है। यह रोबोट आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को दवा और खाना देने का काम करता है।"

    उन्होंने कहा कि अस्पताल में चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपकरण हैं, लेकिन उनकी क्वालिटी खराब है।

    मरीजों की स्थिति

    "तनावपूर्ण स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं संक्रमित मरीज"

    डॉ सिंह ने बताया कि कोरोना के डर से संक्रमित मरीज बेहद तनावपूर्ण स्थित में उपचार के लिए अस्पताल पहुंचते हैं और शुरुआत के 72 घंटे बेहद तनाव में रहते हैं।

    उन्होंने कहा, "इससे उनकी रिकवरी की रफ्तार कम होती है। इस दौरान चिकित्साकर्मी बातचीत कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। धीरे-धीरे वह सामान्य व्यवहार करने लगते हैं और 14 दिन बाद जब ठीक होते हैं तो उनकी मानसिक स्थिति बेहतर होती है। चिकित्साकर्मियों का व्यवहार भी बड़ी दवा है।"

    बयान

    "पुरुषों में अधिक रहता है कोरोना से संक्रमित होने का खतरा"

    डॉ सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस की प्रकृति मेल डोमीनेंट है और इसलिए पुरुषों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। उन्होंने बताया कि सर्वे के अनुसार कोरोना वायरस का हमला पुरुषों पर 60% और महिलाओं पर 40% होने की संभावना है।

    सुविधा और खान-पान

    आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों को यह दी जाती हैं सुविधाएं- डॉ सिंह

    डॉ सिंह ने बताया कि आइसोलेशन में केवल संक्रमित मरीज को ही प्रवेश दिया जाता है। उन्हें मोबाइल रखने की अनुमति होती है, लेकिन SMS में मरीजों को कोरोना के डर से दूर रखने के लिए मोबाइल से दूर रखा जाता है।

    उन्होंने कहा, "इसमें कोई विशेष डाइट चार्ट नही होता है। ऐहतियात के लिए निमोनिया की डाइट को फॉलो किया जाता है। मरीजों की परिजनों से फोन पर बात कराई जाती है। सफाई को विशेष ध्यान रखा जाता है।"

    झुग्गी बस्ती

    "झुग्गी बस्तियों में वायरस के पहुंचने पर बढ़ सकता है खतरा"

    डॉ सिंह ने कहा कि यदि झुग्गी बस्तियों में वायरस पहुंच गया तो यह देश के लिए खतरा हो सकता है।

    उन्होंने कहा कि झुग्गी बस्तियों में एक ही कमरे में पांच से सात लोग रहते हैं। वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मुश्किल है।

    उन्होंने कहा, "सरकार को ऐसी बस्तियां चिहि्नत कर लोगों को अलग रखने की सलाह दी गई है।"

    उन्होंने बस्ती में रहने वाले लोगों से मास्क और हैंड सैनिटाइजर का अधिक उपयोग करने की अपील की है।

    बयान

    सरकार से की चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग

    डॉ सिंह ने कहा, "संक्रमण के डर से लोग चिकित्साकर्मियों से मकान खाली करा रहे हैं। कई जगहों पर उपचार करने गई चिकित्सा टीमों पर जानलेवा हमला किया गया है।" उन्होंने सरकार से चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।

    सुझाव

    डॉ सिंह ने कोरोना से मुकाबले के लिए लोगों से की यह अपील

    डॉ सिंह ने लोगों से कोरोना की खबरों से पैदा भय को कम करने, सरकार की गाइडलाइंस का पालन करने, खान-पान ठीक रखने और मास्क और हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने की अपील की है।

    उन्होंने कहा कि सरकार ने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन किया है, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।

    उन्होंने लोगों से देश के विकास को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन के नियमों का पालन करने की भी अपील की है।

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