राजस्थान: 80 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में निकालनी पड़ी दलित दूल्हे की बारात
आज के समय में देश कितना भी डिजिटल हो गया हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जाति, धर्म जैसी परंपराएं आज भी चल रही हैं। दलितों के आज भी शादी में घोड़ी पर बैठने, बिनौरी या बारात निकालने पर ऐतराज किया जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजस्थान के बूंदी जिले के सांगवाड़ा गांव से, जहां हमले की आंशका के कारण DSP सहित चार थानों के 80 पुलिसकर्मियों की निगरानी में दलित दूल्हे की बारात निकाली गई।
दूल्हे के परिवार ने पुलिस से लगाई थी गुहार
सरकारी शिक्षक के रूप में कार्यरत परसराम मेघवाल ने बताया कि उसकी शादी में गांव की ऊंची जाति के लोगों द्वारा अवरोध पैदा करने की आशंका जताई जा रही थी। इसको लेकर उसने और उसके परिवार ने हिण्डोली पुलिस उप अधीक्षक (DSP) श्याम सुन्दर बिश्नोई से पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगाई थी। इसके बाद DSP ने बारात की सुरक्षा के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले चार थानों के 80 पुलिसकर्मी तैनात कर दिए।
भारी पुलिस बल देखकर दंग रह गया गांव
दलित दूल्हे की बारात में मौजूद पुलिसकर्मियों को देखकर पूरा गांव चकित रहा गया। यह गांव में दूसरा मौका था कि जब किसी शादी में सुरक्षा के लिए इतनी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए। पुलिसकर्मियों को पांच दलों में तैनात किया गया था। पुलिसकर्मियों का एक दल गांव पर नजर रख रहा था तो दूसरा और तीसरा दल बारात के आगे और पीछे चल रहा था। अन्य पुलिसकर्मी सादी वर्दी में बारात में शामिल थे।
परिजनों ने यह लगाया था आरोप
DSP ने बताया कि दूल्हे और उसके परिजनों ने बताया था कि गांव गुर्जर बाहुल्य है और यहां दलितों के घोड़ी पर बैठकर बारात निकालने पर एतराज किया जाता है। गांव में करीब 160 परिवार रहते हैं। इनमें गुर्जर समाज के 55, प्रजापत समाज के 35 घर हैं जबकि 70 परिवार दलित मेघवाल समाज के हैं। दूल्हे के घोड़ी पर बैठने पर किए जाने वाले एतराज को देखते हुए उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी।
ग्रामीणों ने किया आरोपों का खंडन
दलित परिवार की ओर से गुर्जर व प्रजापत समाज पर लगाए गए आरोपों का ग्रामीणों ने खंडन किया है। गुर्जर और प्रजापत समाज के लोगों का कहना है कि परसराम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर पूरे गांव का नाम बदनाम किया है। उनका कहना है कि उन्हें दलित समाज की बारात से न तो पहले एतराज था और ना ही आज कोई ऐतराज है, लेकिन इस तरह से शिकायत कर पूरे गांव की बदनामी की गई है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसे कईं वारदात
दलित दूल्हे के घोड़ी पर बैठने को लेकर देश में पहले कई वारदातें हो चुकी हैं। फरवरी 2019 में हरियाणा के चरखी दादरी, मई 2019 में राजस्थान के बीकानेर, दिसंबर 2019 में मध्य प्रदेश के आगर मालवा, अप्रैल 2017 में उदयपुर और अप्रैल 2016 में गुजरात के अहमदाबाद में भी दलित दूल्हे के घोड़ी पर बैठने को लेकर अन्य जातियों के लोगों ने दूल्हे सहित उसके परिवार की पिटाई कर दी थी। इससे दलितों में भय बना हुआ है।