'आर्टिकल 370' रिव्यू: यामी गौतम के कंधों पर फिल्म का भार, प्रियामणि ने भी किया कमाल
क्या है खबर?
यामी गौतम की फिल्म 'आर्टिकल 370' ट्रेलर जारी होने के बाद से ही लगातार चर्चा में है, जिसका निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक आदित्य सुहास जंभाले ने किया है।
फिल्म के नाम से ही साफ है कि इसकी कहानी 2019 में जम्मू-कश्मीर से हटाई गई धारा 370 के इर्द-गर्द बुनी गई है, जिसमें केंद्र सरकार की तैयारी को दिखाया गया है।
आइए आपके सिनेमाघरों का रुख करने से पहले जानते हैं कि फिल्म उम्मीदों पर खरा उतरी या नहीं।
कहानी
6 अध्याय में दिखेगी 370 हटाने की दास्तां
'आर्टिकल 370' 6 अध्याय में धारा 370 हटाने की कहानी कहती है, जिसकी शुरुआत 2016 में खुफिया अधिकारी जूनी हक्सर (यामी) से होती है।
जूनी आतंकवादी संगठन के युवा कमांडर बुरहान वानी को मुठभेड़ में मार देती है, जिसके चलते कश्मीर में हिंसा भड़क उठाती है और उन्हें इसका जिम्मेदार ठहराते हुए दिल्ली भेज दिया जाता है।
इसके बाद PMO सचिव राजेश्वरी स्वामीनाथन (प्रियामणि) हरकत में आती हैं और जूनी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का नेतृत्व सौंपती हैं।
कहानी
उठेगा केंद्र सरकार की तैयारी से पर्दा
जहां एक ओर जूनी को कश्मीर में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो केंद्र सरकार धारा 370 को हटाने की कोशिशों में जुट जाती है।
इसमें दिखाया गया है कि कैसे केंद्र सरकार ने बिना किसी को पता लगे इस धारा को हटाने से पहले जम्मू-कश्मीर के संविधान को बारीकी से परखा।
इसके बाद जांच कर उसमें खामियों को ढूंढा गया ताकि इस धारा को निरस्त किया जा सके और घाटी में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध हो।
प्रदर्शन
यामी और प्रियामणि का दिखा उम्दा प्रदर्शन
यूं तो खुफिया अधिकारी के किरदार में यामी खूब फबती हैं, लेकिन प्रियामणि भी अपनी छाप छोड़ने में पीछे नहीं रहती हैं।
यामी के कंधों पर पूरी फिल्म का भार है और वह अपने हाव-भाव के साथ ही एक्शन से भी दिल जीत लेती हैं। यामी ने इस मजबूत भूमिका को उम्दा तरीके से निभाया है।
उधर, प्रियामणि भी अपने अभिनय से समा बांध देती हैं। उन्होंने बेहद ही संजीदगी भरे अंदाज में अपने किरदार को निभाया है।
अभिनय
सहायक कलाकारों ने भी किया कमाल
फिल्म में सहायक कलाकारों का प्रदर्शन भी काबिल-ए-तारीफ है।
चाहे प्रधानमंत्री की भूमिका में अरुण गोविल हो या गृह मंत्री बने किरण कर्माकर, सभी का उम्दा प्रदर्शन देखने को मिलता है। राज्यसभा में किरण का प्रदर्शन तो काफी प्रभावशाली है।
इनके अलावा स्कंद संजीव ठाकुर, राज जुत्सी, वैभव तत्ववादी, अश्विनी कौल और इरावती हर्षे आदि सितारे भी अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं।
कुल मिलकार जंभाले सभी कलाकारों का शानदार प्रदर्शन पर्दे पर दिखाने में सफल रहे हैं।
निर्देशन
कैसा रहा निर्देशन?
जंभाले के पास 2 घंटे 40 मिनट का समय था, लेकिन कई जगह ऐसा लगता है कि उनकी गाड़ी तेजी से आगे बढ़ती है तो कहीं पटरी से उतर जाती है।
पहला भाग जहां थोड़ा कसा हुआ हो सकता था तो दूसरा भाग बेहतरीन ढंग से परोसा गया है और आखिर से 30 मिनट सबसे शानदार हैं।
इसके अलावा कुछ सीन ऐसे हैं, जो आपको सीट से बांधे रखेंगे, जैसे एक अलगाववादी को यामी का खड़की से नीचे लटका देना।
कमियां
कमियों को मात देगा उम्दा प्रदर्शन
फिल्म में कुछ एक्शन सीन में ड्रामा ज्यादा लगता है। यामी के किरदार को काफी मजबूत दिखाया गया है, लेकिन जब उनकी गाड़ी में ग्रेनेड फेंका जाता है और वह बिना किसी चोट के बच जाती हैं तो थोड़ा अटपटा लगता है।
फिल्म का संगीत भी ज्यादा असरदार नहीं है। इसमें एक गाना बजता है, जिसे आप आखिर तक भूल भी जाते हैं।
हालांकि, इन खामियां को नजरअंदाज करने के लिए यामी और प्रियामणि का उम्दा प्रदर्शन काफी है।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- यामी और प्रियामणि का अभिनय फिल्म को देखने की अहम वजह है। साथ ही अगर आप धारा 370 हटाने के पीछे सरकार की क्या तैयारी थी और इसे कैसे अंजाम दिया गया, ऐसे सवालों के जवाब चाहते हैं तो इसे देखना बनता है।
क्यों न देखें?- अगर राजनीतिक फिल्में पसंद नहीं हैं तो इससे दूरी बनाना ही बेहतर होगा। फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा धीमा है, लेकिन इसे एक बार देखा जा सकता है।
न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5