'फ्राइडे नाइट प्लान' रिव्यू: भाइयों की जुगलबंदी कमाल, लेकिन कहानी से मात खा गई फिल्म
क्या है खबर?
दिवंगत अभिनेता इरफान खान के बेटे बाबिल खान को अभिनय की कला विरासत में मिली है। इसकी बानगी उनकी पहली फिल्म 'कला' में भी दिखी थी।
अब बाबिल की दूसरी फिल्म 'फ्राइडे नाइट प्लान' नेटफ्लिक्स पर आ गई है। फिल्म में उनके साथ अमृत जेयान और जूही चावला भी नजर आई हैं।
वत्सल नीलकंठन ने इस कॉमेडी ड्रामा फिल्म का निर्देशन किया है।
फरहान अख्तर के एक्सेल एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी यह फिल्म कैसी है, आइए जानते हैं।
कहानी
2 भाइयों के इर्द-गिर्द घूमती कहानी
कहानी 2 भाइयों सिड (बाबिल) और आदि (अमृत) की है। एक दिन सिड स्कूल में फुटबॉल में शानदार गोल कर सबके नजरों में हीरो बन जाता है।
स्कूल के छात्र एक फ्राइडे नाइट पार्टी की योजना बनाते हैं। इसी बीच सिड-आदि की मां (जूही) अपने काम से जुड़ी एक ट्रिप पर बाहर चली जाती हैं। मौके पर चौका मार दोनों भाई पार्टी में शामिल हो जाते हैं।
फिर क्या कुछ होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय
अभिनय की परीक्षा में पास हुए बाबिल
1 घंटे 48 मिनट की इस फिल्म में बाबिल का काम काबिल-ए-तारीफ है। उनकी संवाद अदायगी कमाल की है। हर भाव को बाबिल ने बड़ी सरलता से चेहरे पर उतारा है।
अभिनय के मामले में चुलबुले और शरारती भाई की भूमिका में अमृत भी बाबिल के कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। दोनों भाइयों की जुगलबंदी इस फिल्म में आकर्षण का केंद्र है।
जूही के हिस्से कुछ खास नहीं था, लेकिन जितना उन्हें दिया गया, वह अच्छे से निभा गईं।
निर्देशन
कैसा रहा निर्देशन?
नीलकंठन की यह पहली फिल्म है। उन्होंने एक बढ़िया कोशिश की है। भले ही फिल्म की पटकथा बिखरी हुई है और कॉमेडी में भी यह सफल नहीं रही, लेकिन काफी समय बाद OTT पर एक खूबसूरत फिल्म देखने को मिली है।
इसी के साथ उन्हाेंने किरदारों का चयन उम्र के मुताबिक और बड़ी सूझ-बूझ से किया है।
फिल्म के लेखक भी नीलकंठन ही हैं। हां, अगर लेखन में उन्होंने थोड़ी गंभीरता दिखाई होती तो बात कुछ और होती।
खामियां
ये भी हैं कमजोर कड़ियां
इस कॉमेडी ड्रामा फिल्म में कुछेक दृश्य ही हैं, जाे गुदगुदा जाते हैं।
एक बढ़िया पटकथा लिख पाने में लेखक नाकाम रहे हैं। कहानी में भावानात्मकता की कमी भी खलती है।
एक सीन में जहां सिड, आदि को बताता है कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां ने उनके लिए बहुत कुछ किया है। ऐसे में उन्हें जिम्मेदार होने की जरूरत है। इस दृश्य के साथ न्याय नहीं किया गया, जबकि बाबिल इससे मजबूती से जुड़ सकते थे।
जानकारी
सिनेमैटोग्राफी और संगीत
सिनेमैटोग्राफी की बात करें तो सिनेमैटोग्राफर ने फिल्म का हर दृश्य बड़ी खूबसूरती से कैमरे में कैद किया है। उनका योगदान फिल्म में सराहनीय है। दूसरी तरफ गीत-संगीत बेहद औसत है। ऐसा कोई गाना नहीं है, जो फिल्म खत्म होने के बाद याद रह जाए।
फैसला
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- अगर आप OTT पर किसी साफ-सुथरी फिल्म की तलाश कर रहे हैं तो यह 'फ्राइडे नाइट प्लान' बेशक आपकी कसौटी पर खरी उतरेगी। फिल्म देख आपके स्कूल के दिनों की यादें भी बेशक ताजा हो जाएंगी। हल्की-फुल्की कॉमेडी के साथ यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी, लेकिन ज्यादा मनोरंजन की उम्मीद भी ना कीजिएगा।
क्यों न देखें?- अगर अच्छी कहानी या कॉमेडी के लालच में फिल्म देखने की सोच रहे हैं तो निराश होंगे।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5