'ड्रीम गर्ल 2' रिव्यू: भद्दे मजाक के बीच पटरी से उतरी आयुष्मान की फिल्म की कहानी
क्या है खबर?
आयुष्मान खुराना की फिल्म 'ड्रीम गर्ल' ने 2019 में बॉक्स ऑफिस पर खूब कमाई की थी। फिल्म में आयुष्मान ने 'पूजा' बनकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था।
पिछले साल फिल्म के सीक्वल 'ड्रीम गर्ल 2' की घोषणा की गई थी, तभी से फिल्म के प्रशंसक इसका इंतजार कर रहे थे। कई बार रिलीज तारीख टलने के बाद आखिरकार 25 अगस्त को फिल्म सिनेमाघरों में आ गई है।
जानिए इस बार कैसी रही निर्देशक राज शांडिल्य की यह फिल्म।
कहानी
इस बार भी 'कर्म ही पूजा है'
कर्म (आयुष्मान) और उसकी प्रेमिका परी (अनन्या) शादी करना चाहते हैं, लेकिन परी के पिता इसके लिए कर्म के खाते में 25 लाख रुपये होने की शर्त रखते हैं।
इधर, कर्म और उसके पिता जगजीत भी आर्थिक तंगी में हैं। पैसों के इंतजाम के लिए जब कुछ नहीं सूझता, तो कर्म लड़की (पूजा) बनकर बार डांसर बन जाता है। उसके पिता और दोस्त स्माईली भी उसका साथ देते हैं।
पूजा का सच छिपाने में फिल्म में भरपूर ड्रामा होता है।
कलाकार
कलाकारों की भीड़ में खो गई कहानी
फिल्म में पिछली फिल्म के कलाकार अभिषेक बनर्जी, मनजोत सिंह, अन्नू कपूर और विजय राज फिर नजर आए हैं। इनके अलावा फिल्म में असरानी, परेश रावल, राजपाल यादव, सीमा पाहवा भी अहम भूमिकाओं में हैं।
इतने सारे हास्य कलाकार होने के कारण यहां एक अच्छी कॉमेडी की उम्मीद थी। अभिनय के मामले में सभी दिग्गज हैं, लेकिन निर्देशक इसका फायदा नहीं उठा पाए। कलाकारों की भीड़ में कोई भी दर्शकों से जुड़ नहीं पाया।
आयुष्मान और अनन्या
ऐसे रहे आयुष्मान और अनन्या
इतने सारे कलाकार होने के बाद भी फिल्म सिर्फ आयुष्मान की है जिनका अभिनय ही इस फिल्म को देखने लायक बनाता है। पूजा के किरदार में उन्होंने लड़की की बेहतरीन चाल-ढाल में खुद को ढाला है। पूजा और कर्म के बीच उनका परिवर्तन काफी सहज है।
अनन्या का अभिनय उनकी पिछली फिल्मों के मुकाबले बेहतर है। उन्होंने मथुरा की बोली को पकड़ने की कोशिश की है, लेकिन उनके अभिनय में यह "कोशिश" नजर आती है।
निर्देशन
हंसाने के चक्कर में निर्देशक ने इन बातों को किया नजरअंदाज
फिल्म में कॉमेडी और पंच डालने के चक्कर में निर्देशक पटरी से उतर गए। पूजा का सच सामने आने के सफर में ना कोई भावुक क्षण आता है, न कोई सस्पेंस। कॉमेडी के नाम पर बॉडी शेमिंग, डिप्रेशन और लैंगिकता का भद्दा इस्तेमाल परेशान करने वाला है।
सैनेटाइजर और कोरोना से संबंधित तंज दर्शकों से जुड़ने की कोशिश करते हैं।
फिल्म ट्विस्ट्स से भरपूर मजेदार फैमिली ड्रामा हो सकती थी, लेकिन निर्देशक का सारा जोर लैंगिकता पर रह जाता है।
संगीत
संगीत ने भी किया निराश
फिल्म के गाने इसके लिए दर्शक बटोरने का काम कर सकते हैं, लेकिन इनसे फिल्म और ढीली होती है। फिल्म की शुरुआत ही एक डांस नंबर से होती है और शुरु के 1 घंटे में ही एक ही तरह के 2-3 गाने दर्शकों को परोस दिए जाते हैं।
बैकग्राउंड स्कोर से कॉमेडी के साथ फिल्म का भावुक पक्ष रखा जा सकता था, लेकिन कॉमेडी के लिए जी स्टूडियोज की अन्य फिल्मों के गाने बैकग्राउंड में भर दिए गए।
संदेश
क्या संदेश देने के दबाव में थे निर्देशक?
इन दिनों कलाकारों का मोनोलॉग आखिर में दर्शकों पर चोट करने का एक अच्छा जरिया बन गया है। ये मोनोलॉग एक ताकतवर संदेश दे सकते हैं, लेकिन संदेश देने का शॉर्टकट नहीं हो सकते। यह इस पर भी निर्भर करता है कि कहानी उस मोनोलॉग तक किन भावनाओं से गुजरकर पहुंची है।
डिप्रेशन, शारीरिक कद-काठी और लैंगिकता का फिल्म में भरपूर मजाक उड़ाने के बाद आखिर में आयुष्मान के मोनोलॉग से इसकी भरपाई करने की बेकार कोशिश की गई है।
क्या अच्छा?
इन बातों ने संभाली फिल्म
फिल्म में एक से बढ़कर एक दिग्गज कलाकार हैं। लंबे समय बाद असरानी पर्दे पर नजर आए हैं। इन कलाकारों को दिए गए संवेदनहीन मजाक को नजरअंदाज करें, तो उन्हें पर्दे पर देखना अच्छा लगता है।
फिल्म में आयुष्मान की प्रस्तुति पैसा वसूल है। उन्होंने पुरुष और महिला दोनों का किरदार बेहतरीन तरीके से उकेरा है। ना सिर्फ अभिनय, बल्कि डांस में भी उन्होंने दोनों भूमिकाओं में खुद को बेहतरीन ढाला है।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- आयुष्मान के प्रशंसक हैं तो इस फिल्म पर पैसा खर्च कर सकते हैं। बॉलीवुड की खास मसाला कॉमेडी फिल्में पसंद हों, तो यह फिल्म देख सकते हैं।
क्यों न देखें?- फिल्म से 'ड्रीम गर्ल' जैसे मनोरंजन की उम्मीद है, तो यह निराश करेगी। ऐसे में इस फिल्म से किनारा ही करें।
न्यूजबाइट्स स्टार - 2/5