
'वन फ्राइडे नाइट' रिव्यू: क्लाइमैक्स ने बचाई इस गिरती-पड़ती फिल्म की लाज
क्या है खबर?
रवीना टंडन ने कई बेहतरीन फिल्में की हैं। वह OTT प्लेटफॉर्म पर भी अपना जलवा बिखेर चुकी हैं। अब एक बार फिर रवीना ने OTT पर दस्तक दी है।
इस बार वह 'वन फ्राइडे नाइट' नाम की एक फिल्म लेकर आई हैं, जिसने आज यानी 28 जुलाई को जियो सिनेमा पर दस्तक दी है।
बिना किसी शोर-शराबे के आई इस फिल्म में रवीना को अभिनेता मिलिंद सोमन का साथ मिला है।
आइए जानें कैसी है 'वन फ्राइडे नाइट'।
कहानी
लव ट्राएंगल के आसपास बुनी गई फिल्म की कहानी
फिल्म एक बिजनेसमैन राम (मिलिंद) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो शादीशुदा है और अपनी से आधी उम्र की लड़की से इश्क लड़ा रहा है।
फिल्म में डॉक्टर बनीं रवीना (लता) ने राम की पत्नी की भूमिका निभाई है, जिसे अपने पति (मिलिंद) के दूसरी महिला के साथ संबंधों की भनक तब लगती है, जब वह बरसात की एक रात हादसे का शिकार हो जाता है।
अब सच सामने आने पर क्या होता है, यह फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।
अभिनय
कलाकारों में किसने जीता दिल?
फिल्म में रवीना की दमदार अदाकारी कहानी से बांधे रखती है। हालांकि, वह अभिनय के विभाग में इकलौती विजेता नहीं हैं।
यहां मिलिंद भी उनके कदम से कदम मिलाते नजर आए हैं, लेकिन फिल्म कुछेक कलाकारों के प्रदर्शन के दम पर नहीं चलती।
कहानी में अगर दम न हो और कलाकारों का अभिनय उन्नीस-बीस हो तो भी काम चल जाता है।
फिल्म में मिलिंद की र्गलफ्रेंड बनीं विधि चितारिया ने ऐसा कुछ खास नहीं किया, जो याद रह जाए।
निर्देशन
निर्देशक से कहां हुई चूक?
निर्देशक मनीष गुप्ता ने न जाने क्या सोचकर पुरानी कहानी दर्शकों के लिए परोसी।
हालांकि, इंतजार क्लाइमैक्स का होता है और अगर यह भी आनन-फानन में निपट जाता तो यह औसत से भी कमतर फिल्म बनकर रह जाती।
बस आखिरी के 15-20 मिनट इस पटरी से उतरती फिल्म की जान हैं या यह कहें कि फिल्म के अंत ने इसे बचाया है। आखिरी टि्वस्ट के अलावा पूरी फिल्म में कहीं भी निर्देशक अपनी छाप छोड़ते नहीं दिखते।
कमियां
फिल्म में ये भी हैं खामियां
कहानी न तो सतही तरीके से लिखी गई और ना ही पर्दे पर ढंग से गढ़ी गई।
लता-राम के बीच मतभेद क्या हैं? और तो और उनके संबंधों तक की बात नहीं की गई है।
लगभग डेढ़ घंटे की यह फिल्म शुरू के 30-40 मिनट इतनी उबाऊ लगती है कि घड़ी-घड़ी सीट से उठने का दिल करता है। रफ्तार इतनी धीमी है कि माथा चकरा जाता है, वहीं बैकग्राउंड में हो रही लगातार बारिश की आवाज भी कहीं-कहीं चुभती है।
जानकारी
संगीत और सिनेमैटोग्राफी
फिल्म का गीत-संगीत ऐसा नहीं है, जिस पर गौर किया जाए। बैकग्राउंड म्यूजिक भी औसत है। फिल्म के कुछ दृश्य दिखने में बेहद खूबसूरत हैं। शहर से दूर अलग-थलग बना विला भी आंखों को सुकून देता है। सिनेमैटोग्राफर की मेहनत फिल्म में झलकती है।
फैसला
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- रवीना के लिए तो कम से कम मुफ्त में जियो सिनेमा पर 'वन फ्राइडे नाइट' देखी ही जा सकती है। फिल्म का अंत देख आप ताली बजाएं न बजाएं, लेकिन इसके बाद आपको यह फिल्म देखकर अफसोस भी नहीं होगा।
क्यों न देखें?- लव ट्राएंगल वाली इस कहानी से नयेपन की उम्मीद करेंगे तो निराश होंगे, वहीं इस विश्वास से तो कतई फिल्म न देखें कि इसकी कहानी, ड्रामा, रोमांस या सस्पेंस आपको प्रभावित करेगा।
न्यूजबाइट्स स्टार- 1.5/5