'शहजादा' रिव्यू: हर दृश्य में है मनोरंजन, बॉलीवुड के 'शहजादा' बने कार्तिक आर्यन
कार्तिक आर्यन की फिल्म 'शहजादा' काफी समय से चर्चा में थी। बीते दिनों फिल्म के कई गाने रिलीज हुए जो लोगों ने पसंद किए। ट्रेलर आने के बाद से कार्तिक के एक्शन अंदाज की चर्चा हो रही थी। दर्शक उन्हें इस किरदार में देखने के लिए उत्सुक थे। कई दिनों से कार्तिक और कृति सैनन अपनी इस फिल्म का प्रमोशन कर रहे थे। अब 17 फरवरी को फिल्म सिनेमाघरों में आ गई है। आइए जानते हैं कैसी है 'शहजादा' फिल्म।
दो परिवारों के बीच दबे इस राज की कहानी है फिल्म
अमीर जिंदल परिवार के वारिस का जब जन्म हुआ, तब उसी जगह उस परिवार के लिए काम करने वाले एक कर्मचारी, वाल्मिकी (परेश रावल) के बेटे का भी जन्म होता है। वाल्मिकी धोखे से दोनों बच्चों को बदल देता है, ताकि उसका बेटा जिंदल परिवार में राज करे। उधर, वह जिंदल परिवार के असली बेटे बंटु (कार्तिक) का पालन-पोषण करता है, लेकिन उससे प्यार नहीं करता। इस सच्चाई के सामने आने की इमोशनल रोलर-कोस्टर है फिल्म की कहानी।
बॉलीवुड के "शहजादा" बने कार्तिक
फिल्म में कई वरिष्ठ कलाकार होने के बाद भी कार्तिक पर्दे पर अलग से चमकते हैं। वह पहले कई कॉमेडी फिल्में कर चुके हैं और इसमें उनकी मजबूत पकड़ है। रोमांस और भावुक दृश्यों को भी कार्तिक ने खूबसूरती से पूरा किया है। कॉमेडी, रोमांस, इमोशन, डांस, कार्तिक ने मानो अपना सारा हुनर इसमें कैमरे के सामने लाकर रख दिया। हालांकि, पर्दे पर वह पहली बार एक्शन करते नजर आए और यह कच्चापन पर्दे पर दिखता है।
पूरी स्टारकास्ट ने मजबूत बनाया हर दृश्य
कृति के हिस्से ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन उनकी उपस्थिति पर्दे पर ग्लैमर लाने का काम करती है। कार्तिक के बाद सबसे ज्यादा स्क्रीन स्पेस परेश का है। उन्होंने हर दृश्य में दर्शकों को मजबूती से बांधकर रखा है। रौनित रॉय एक गंभीर बिजनेसमैन, भावुक पिता और टूटे हुए पति की भावनाओं को बेहतरीन तरीके से पर्दे पर लेकर आए। मनीषा कोइराला ने रौनित के साथ कई मजबूत दृश्य दिए हैं।
इनका जिक्र भी है जरूरी
लंबे समय बाद राजपाल यादव की कॉमेडी देखने को मिली है। उनका छोटा सा दृश्य वैसे तो कहानी में गैरजरूरी था, लेकिन राजपाल का अंदाज देखना कभी नहीं खलता है। वह बिना गैर-जरूरी संवाद और फूहड़ कॉमेडी के सिर्फ अपने हाव-भाव से दर्शकों को लोटपोट कर जाते हैं। सनी हिंदुजा फिल्म में विलेन बने हैं। उनके छोटे-छोटे दृश्य रोमांचित करने वाले हैं। सनी 'TVF एस्पायरेंट' के 'संदीप भइया' के रूप में लोकप्रिय हैं। उनका खूंखार अंदाज देखना दिलचस्प है।
हंसाते-हंसाते भावुक कर देते हैं रोहित धवन
निर्देशक रोहित धवन का कॉमिक अंदाज उनके पिता डेविड धवन से मिलता-जुलता है, इसलिए फिल्म के कई दृश्य डेविड की फिल्मों की याद दिलाते हैं। उन्होंने एक अमीर परिवार की मुश्किलों को हंसाते-हंसाते बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। हर दृश्य को रोहित ने अच्छे से बनाया है। शानदार स्टारकास्ट और उनका अभिनय, उनमें चार चांद लगाते हैं। ट्विस्ट के मामले में रोहित कमजोर पड़ गए। फिल्म में कई राज, बिना किसी भूमिका के सपाट तरह से खुल जाते हैं।
हंसाते-हंसाते गंभीर बातें कहते हैं संवाद
फिल्म में गरीबी, अमीरी, दुख, एक्शन, रोमांस और कॉमेडी सबकुछ है। इन सबको एक सूत्र में बांधने और संतुलन बनाने का काम फिल्म के संवाद और सिनेमेटोग्राफी करते है। इसके संवाद हुसैन दलाल ने लिखे हैं। 'कभी भी किसी मर्द से कोई काम कराना हो तो उसका ईगो हर्ट कर दो', 'गरीबों के पास एक ही तो चीज थी, दुख। वो भी अमीरों ने ले लिया', जैसे संवाद हंसाते-हंसाते जहन में रुक जाते हैं।
हर भावना को दिखाने की जिद से फीकी हुई फिल्म
फिल्म की कहानी 'शहजादा' को उसके असली घर तक पहुंचाने के सफर में ढीली पड़ जाती है। बिछड़ा हुआ बच्चा, टूटा रिश्ता, परिवार में गद्दारी, अमीरों की कमजोरियां, गरीबों की ताकत, रोमांस, ग्लैमर, फिल्म में सबकुछ डाल देने की जबरदस्ती दिखाई देती है। बंटु को जिंदल परिवार द्वारा अपनाने का ड्रामा फिल्म को जबरदस्ती खींचता है। कुछ गैर-जरूरी चीजों को छांटकर फिल्म की अवधि छोटी की जा सकती थी। 2 घंटे 22 मिनट का रन टाइम इसकी मुख्य कमजोरी है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- बहुत दिन बाद कोई ऐसी कॉमेडी फिल्म आई है जिसे परिवार के साथ समय बिताने के लिए देखा जा सकता है। कार्तिक के प्रशंसकों को फिल्म देखने की वजह तलाशने की जरूरत नहीं है। क्यों न देखें?- फिल्म हल्का-फुल्का मनोरंजन और हास्य देती है। गंभीर एक्शन या सस्पेंस फिल्मों के शौकीन हैं तो इसे मत देखिए। कार्तिक और कृति के रोमांस की उम्मीद में जा रहे हैं, तो भी आप निराश होंगे। न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5