देश में प्री-प्राइमरी स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला प्रदेश बना उत्तराखंड
उत्तराखंड में मंगलवार को प्री-प्राइमरी स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP) को लागू कर दिया गया। इसी के साथ उत्तराखंड प्री-प्राइमरी स्तर के स्कूलों में यह नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षा महानिदेशालय में बाल वाटिकाओं का उद्घाटन कर राज्य में NEP का औपचारिक शुभारंभ किया और कहा कि इससे बच्चों के नए भविष्य का निर्माण होगा।
पहले चरण में NEP के तहत बाल वाटिकाओं का होगा संचालन
राज्य के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड में लगभग 20,000 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं और पहले चरण में शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालयों में संचालित हो रहे 5,000 आंगनबाड़ी केन्द्रों में NEP के तहत बाल वाटिकाओं का संचालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों के लिए हस्तपुस्तिका और बच्चों के लिये तीन अभ्यास पुस्तिका, स्वास्थ्य, संवाद और सृजन, तैयार की हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में NEP एक क्रांतिकारी परिवर्तन- पुष्कर सिंह धामी
बाल वाटिका के उद्घाटन के मौके पर धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में शिक्षा के क्षेत्र में NEP एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, जो नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा, "यह शिक्षा नीति भारतीय सनातन ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है जो हर व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष जोर देती है।"
NEP को 2030 तक राज्य में पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य
धामी ने कहा कि राज्य में NEP को 2030 तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने शिक्षा विभाग से 2025 तक शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ऐसे कार्य करने को कहा है जो देश में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत हों। उन्होंने कहा कि 2025 में उतराखंड स्थापना दिवस की रजत जयंती के अवसर पर सभी विभागों को यह लक्ष्य दिया गया है कि वे अपनी कुछ उपलब्धियां धरातल पर दिखाएं।
न्यूजबाइट्स प्लस
केंद्र सरकार ने साल 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी थी। इसे के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने बनाया है। इस नीति में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इसके अलावा सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही नियामक रखने और MPhil को खत्म करने का फैसला किया गया है। पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में ड्राफ्ट हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन किया गया था।