IIM छात्रों और स्टाफ का प्रधानमंत्री को खुला पत्र, हेट स्पीच पर चुप्पी तोड़ने की मांग
क्या है खबर?
देश में हेट स्पीच (भड़काऊ भाषण) और जाति आधारित हिंसा को भड़काने वाले बयान और सोशल मीडिया पोस्ट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके कई गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं।
इसको देखते हुए भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) के छात्रों और फैकल्टी सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखा है।
इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से हेट स्पीच और जाति आधारित हिंसा के खिलाफ चुप्पी तोड़ने की मांग की है।
कारण
'प्रधानमंत्री की चुप्पी दे रही नफरत भरी आवाजों को बढ़ावा'
NDTV के अनुसार, IIM अहमदाबाद और बेंगलुरु के छात्रों और स्टाफ सदस्यों ने पत्र में लिखा है, 'इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी ही नफरत भरी आवाजों को बढ़ावा दे रही है और यही हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा है।'
उन्होंने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री मोदीजी हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमें विभाजित करने का प्रयास करने वाली ताकतों के खिलाफ आप बेहद मजबूती से खड़े रहें।'
अस्वीकार्य
'हेट स्पीच और समुदायों के खिलाफ हिंसा का आह्वान है अस्वीकार्य'
छात्रों और स्टाफ सदस्यों ने लिखा, 'देश में हेट स्पीच और धर्म, जाति, पहचान के आधार पर समुदायों के खिलाफ हिंसा का आह्वान अस्विकार्य है। भले ही भारतीय संविधान ने सम्मान के साथ अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है, लेकिन फिर भी देश में भय की भावना है।'
उन्होंने आगे लिखा, 'हाल में चर्चों सहित पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की जा रही है मुस्लिमों के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान किया गया। इससे भय बना हुआ है।'
अपील
प्रधानमंत्री मोदी से चुप्पी तोड़ने का आह्वान
पत्र में सभी छात्रों और फेकल्टी सदस्यों ने प्रधानमंत्री मोदी से हेट स्पीच और जाति आधारित हिंसा को भड़काने वाले बयानों पर चुप्पी तोड़ते हुए ठोस कदम उठाने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई ही देश को भय से निकाल सकती है।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए इस पत्र में IIM अहमदाबाद और बेंगलुरु के 13 संकायों के 183 छात्रों और फेकल्टी सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं।
पृष्ठभूमि
हरिद्वार में हुई 'धर्म संसद' में सामने आया था हेट स्पीच का मामला
हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद' में हेट स्पीच का ताजा मामला सामने आया था। इसमें संतों ने भड़काऊ बयान दिए थे और लोगों को मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया था।
अन्नपूर्णा मां ने कहा था, "अगर इनकी जनसंख्या को खत्म करना है तो मारने को तैयार रहो। हम 100 ने इनके 20 लाख को भी मार दिया तो हम विजयी हैं।" इसी तरह आनंद स्वरूप महाराज ने भी ऐसे ही बयान दिए थे।
पत्र
मामले में 76 वकीलों ने लिखा था मुख्य न्यायाधीश को पत्र
इस घटना की विपक्ष सहित कई प्रतिष्ठित लोगों ने निंदा की थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना को पत्र लिखकर "जातीय संहार" का आह्वान करने वाले इन कार्यक्रमों का स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध किया था।
इसके बाद गढ़वाल पुलिस ने इस मामले में कई संतों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का भी गठन किया गया था।