कौन हैं उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह?
उत्तराखंड में चल रही सियासी उठापटक शनिवार को नए मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी (45) के नाम पर मुहर लगने के साथ खत्म हो गई। शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के साथ ही सबकी नजरें प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम टिक गई थी। दोपहर तीन बजे हुई हुई विधायक दल की बैठक में खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। आइए जानते हैं इनके बारे में सब कुछ।
धामी कल लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद धामी ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर दावा पेश किया। इसके बाद अब रविवार को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही उत्तराखंड की राजनीति में युवा मुख्यमंत्री के उदय की शुरुआत होगी।
तीरथ सिंह के इस्तीफा देने के बाद खाली हुआ था पद
इस साल मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह राज्य की कमान संभालने वाले तीरथ सिंह रावत ने संवैधानिक कारणों के चलते महज 115 दिन बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने शुक्रवार देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंपा। उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री की तलाश के लिए भाजपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। उनके नेतृत्व में ही विधायक दल की बैठक हुई थी।
ऐसा रहा है धामी का बचपन और शिक्षा
पुष्कर सिंह धामी का जन्म 16 सितंबर, 1975 को पिथौरागढ़ जिले के टुंडी गांव में हुआ था। उनके पिता सेना में रहे थे। शिक्षा की बात करें तो धामी ने मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंधित विषय में मास्टर्स की है। इसके बाद उन्होंने वकालत की भी पढ़ाई की। पिछले विधानसभा चुनावों में अपने हलफनामे में उन्होंने वकालत को अपना पेशा बताया था। एक सैनिक पुत्र होने के नाते उनमें अनुशासन कूट-कूट कर भरा हुआ है।
धामी ने ABVP से की राजनीतिक करियर की शुरुआत
धामी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की थी। उन्होंने 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक ABVP में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। जिसके बाद उन्हें ABVP का प्रदेश मंत्री भी बनाया गया था। अपने कार्य के दम पर वह साल 2002-08 तक दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी रहे थे। उन्हें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है।
मुख्यमंत्री भगत सिंह कोशियारी के OSD भी रह चुके हैं धामी
धामी ने 2001-2002 में मुख्यमंत्री रहते हुए भगत सिंह कोश्यारी के विशेष कर्तव्य अधिकारी (OSD) के रूप में कार्य किया था। उन्होंने राज्य में शहरी निगरानी समिति के उपाध्यक्ष (राज्य मंत्री रैंक के साथ) का पद भी संभाला है। इस दौरान उनकी छवि खूब चमकी।
खटीमा से लगातार दो बार चुने गए विधायक
धामी ने 2008 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पद रहने के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय किया था। यही कारण था पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें खटीमा सीट से टिकट दे दिया। उन्होंने भी पार्टी को निराश नहीं किया और जीत हासिल की। क्षेत्र में उनके कार्य और प्रभाव को देखते हुए पार्टी प्रबंधन ने 2017 चुनाव में भी उन्हें टिकट दिया और इस बार भी उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की।
मुख्यमंत्री पद की रेस में दिग्गजों को पछाड़ा
तीरथ सिंह के इस्तीफा देने के बाद नए मुख्यमंत्री के रूप में सतपाल महाराज, बिशन सिंह चुपल, मदन कौशिक और धन सिंह रावत जैसे दिग्गज नेताओं का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन धामी ने अपने कार्य और प्रभाव के चलते सबको पछाड़ दिया। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि धामी ऊर्जावान होने के साथ ही युवा हैं, जो पार्टी को मजबूती देने के साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत दिलाएंगे।
धामी को मुख्यमंत्री चुनने के पीछे यह रहा है गणित
धामी पहाड़ी क्षेत्र के ठाकुर समुदाय से आते हैं। ऐसे में पार्टी ने उन्हें अगले मुख्यमंत्री के रूप में चुनकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले जाति और क्षेत्रीय समीकरणों को संतुलित करने का प्रयास किया है। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहाड़ी ठाकुर समुदाय पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में आ जाएग और इसका भाजपा को अगले चुनाव में बड़ा लाभ होगा। अब देखना है यह है धामी मुख्यमंत्री पद को कैसे संभालते हैं?