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CBSE नए सत्र में अपनाएगा 12वीं तक की शिक्षा का नया प्रारूप
CBSE नए शैक्षणिक सत्र में 10+2 शिक्षा प्रणाली को समाप्त करने की योजना बना रहा है

CBSE नए सत्र में अपनाएगा 12वीं तक की शिक्षा का नया प्रारूप

Nov 20, 2022
02:40 pm

क्या है खबर?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 20220 की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने नए शैक्षणिक सत्र में शिक्षा के प्रारुप को बदलने की योजना बनाई है। इसके तहत नए सत्र में 10+2 शिक्षा प्रणाली को समाप्त कर दिया जाएगा। नए सत्र में इस व्यावस्था को लागू करने की घोषणा की जा सकती है। इसके बाद CBSE बोर्ड से संबंद्ध सभी स्कूलों को नई पद्धित की शिक्षा व्यावस्था को अपनाने के निर्देश जारी किए जाएंगे।

घोषणा

CBSE ने कर दिया है आधिकारिक ऐलान

CBSE की चेयरपर्सन निधि छिब्बर ने कहा कि CBSE आगामी शैक्षणिक सत्र में यह बदलाव करेगा। उन्होंने कहा है कि, "बोर्ड जल्द ही 10+2 के बजाय सभी स्कूलों के लिए नई व्यावस्था 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा, जैसा कि नई शिक्षा नीति में शामिल है।" उनका मानना है कि स्कूली शिक्षा के विकास को कई चरणों में इस तरह आसानी से जांचा-परखा जा सकता है।

बदलाव

आसान भाषा में समझें क्या बदलेगा?

इस निर्णय के बाद अब पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा दो सहित फाऊंडेशन स्टेज शामिल होंगी। इसके बाद जहां कक्षा तीन से पांच के बीच तीन साल शामिल होंगे। वहीं छठी से आठवीं तक की कक्षाओं को तीसरे पायदान में रखा गया है। छात्रों के पास आठवीं से ही रुचि के विषय को चुनने और परीक्षा देने की जादी होगी। चौथी स्टेज में नौवीं से 12वीं तक के चार साल होंगे।

फायदा

क्या होगा इससे लाभ?

CBSE द्वारा नई शिक्षा व्यावस्था के आधार पर इसका मौसादा तैयार करने की कवायद शुरू कर दी गई है। ऐसा माना जा रहा है कि इस 5+3+3+4 वाले प्रारुप के लागू होने के बाद पांचवी कक्षा तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही अध्ययन करने की आजादी होगी। कक्षा 10 बोर्ड की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया गया है। अब छात्र को सिर्फ 12वीं बोर्ड की ही परीक्षा देनी होगी।

जरूरत

क्यों जरूरी है नई शिक्षा नीति?

जैसा कि आप जानते हैं कि किसी भी देश का संपूर्ण विकास तब तक कर पाना संभव नहीं है जब तक कि उस देश की जनता को बेहतर शिक्षा प्राप्त ना हो जाए। भारत में साल 1986 में शिक्षा नीति बनाई गई थी। इसके बाद साल 1992 में इसमें कुछ आंशिक बदलाब भी हुए। इसके बाद लंबे समय तक कोई संशोधन नहीं हुआ। वर्ष 2020 फिर से पुरानी शिक्षा नीति को बदलकर नई शिक्षा नीति लागू की गई है।