क्या महिलाओं के मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करती है कोरोना वैक्सीन?
कोरोना वारयस महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन को ही एकमात्र उपचार माना गया है और सरकारें लगातार लोगों से जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने की अपील कर रही है। इस बीच महिलाओं में एक सवाल लगातार उठता आया है कि क्या वैक्सीन उनके मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करती है। अब इसको लेकर ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है, जिसके अनुसार वैक्सीन मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकती है।
4,000 अमेरिकी महिलाओं के डाटा पर आधारित है अध्ययन
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, प्रकाशित अध्ययन 4,000 अमेरिकी महिलाओं के डाटा पर आधारित है और यह मासिक धर्म को लेकर किया गया अपनी तरह का पहला अध्ययन है। इसमें कहा गया है कि कुछ महिलाएं कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मासिक धर्म चक्र की लंबाई में मामूली, लेकिन अस्थायी परिवर्तन मससूस कर सकती है। इसका मतलब है कि वैक्सीन लेने का बाद महिलाओं का मासिक धर्म चक्र पूर्व की तुलना में एक दिन आगे बढ़ सकता है।
'प्राकृतिक च्रक' ऐप के जरिए किया गया था डाटा का विश्लेषण
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 'प्राकृतिक चक्र' ऐप का उपयोग किया था। अध्ययन में शामिल 4,000 अमेरिकी महिलाओं की उम्र 18 से 45 साल के बीच थी और वैक्सीन लगवाने पहले उनका मासिक धर्म चक्र 24-38 दिनों के बीच था। इनमें से 2,403 महिलाओं को वैक्सीन दी गई थी। वैक्सीन लेने वाली महिलाओं में से 55 प्रतिशत को फाइजर, 35 प्रतिशत को मॉडर्ना और सात प्रतिशत को जॉनसन एंड जॉनसन की एकल खुराक वाली वैक्सीन लगाई गई थी।
डाटा का विश्लेषण करने के बाद सामने आया यह परिणाम
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता एलिसन एडेलमैन ने कहा कि वैक्सीन लेने वाली महिलाओं का मासिक धर्म चक्र वैक्सीन न लेने वाली महिलाओं की तुलना में सामान्य से करीब एक दिन आगे बढ़ गया। इसी तरह एक मासिक धर्म च्रक में वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वाली कुछ महिलाओं में यह चक्र दो दिन तक आगे बढ़ गया। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म चक्र में आया यह बदलाव अगले मासिक धर्म चक्र के दौरान फिर से कम भी हो गया है।
अध्ययन में नहीं किया गया है मासिक धर्म चक्र की प्रवृत्ति का खुलासा
बता दें इस अध्ययन में केवल मासिक धर्म च्रक की लंबाई पर अध्ययन किया गया है। इसमें यह नहीं बताया गया है कि वैक्सीन के कारण मासिक धर्म च्रक की प्रवृत्ति और रक्तस्राव पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस पर अध्ययन किया जाना बाकी है।
क्या हैं इस अध्ययन की सीमाएं?
शोधकर्ताओं की माने तो इस अध्ययन के परिणाम पूरी आबादी के लिए एक समान नहीं हो सकते हैं। इसका कारण है कि 'प्राकृतिक चक्र' ऐप का इस्तेमाल केवल शिक्षित महिलाओं ने किया है, जबकि अशिक्षित और ग्रामीण महिलाएं इससे दूर रही हैं। इसी तरह इसमें समान मासिक धर्म चक्र वाली महिलाओं को ही शामिल किया गया था। ऐसे में अलग-अगल चक्र वाली महिलाओं में वैक्सीन के अलग-अलग परिणाम भी सामने आ सकते हैं।