
किसी देश के लिए क्या होती है 'मंदी' और क्या-क्या पड़ता है इससे असर?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और चीन समेत कई देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ा है और अब चीन भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है। इस व्यापारिक टकराव से वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका बढ़ गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि किसी देश के लिए 'मंदी' का मतलब क्या होता है? आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।
मंदी
किसी देश के लिए मंदी क्या है?
मंदी का मतलब है जब किसी देश की अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर होने लगे और वह आर्थिक संकट में हो।
इसका सीधा असर व्यापार, नौकरी, उत्पादन और आमदनी पर पड़ता है। जब लगातार 2 तिमाही (6 महीने) तक देश की GDP यानी कुल उत्पादन घटता है, तो उस स्थिति को आर्थिक मंदी कहा जाता है।
जैसे अगर कोई दुकान हर महीने कम सामान बेचे और ग्राहक घट जाएं, तो उसका असर उसकी कमाई पर साफ दिखेगा।
असर
मंदी से क्या-क्या असर पड़ता है आम लोगों पर?
मंदी के दौरान कंपनियां नुकसान से बचने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करती हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। लोग कम खर्च करते हैं, जिससे बाजार में मांग घटती है और उत्पादन में भी गिरावट आती है।
निवेश भी रुक जाता है, क्योंकि लोग अपने पैसे को सुरक्षित रखना चाहते हैं। इसका असर धीरे-धीरे सभी सेक्टरों पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, 2008 की वैश्विक मंदी में लाखों लोगों की नौकरियां चली गई थीं।
तरीका
सरकारें मंदी से कैसे निपटती हैं?
सरकारें मंदी से निपटने के लिए टैक्स कम करती हैं, ब्याज दर घटाती हैं और योजनाओं में खर्च बढ़ाती हैं, ताकि लोगों को पैसा मिले और बाजार में मांग बढ़े।
व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नए नियम लाए जाते हैं। जैसे भारत में कोरोना के बाद सरकार ने राहत पैकेज देकर अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश की थी।
मंदी से बचने के लिए समय पर कदम उठाना बेहद जरूरी होता है, वरना नुकसान लंबे समय तक बना रहता है।