टेक कंपनियों में छंटनी: क्यों जा रही हैं इतने लोगों की नौकरियां?
पिछले कुछ दिनों से लगातार टेक कंपनियों में छंटनी की खबरें आ रही हैं। छोटे स्टार्टअप्स से लेकर मेटा, गूगल और फिलिप्स जैसी बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रही हैं। इसी महीने देश और विदेश की लगभग 230 टेक कंपनियों ने 70,000 के करीब कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। आइये जानने की कोशिश करते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियों क्यों जा रही है।
महामारी के दौरान टेक कंपनियों ने देखा बूम
छंटनी की वजहों की जड़ में जाने के लिए महामारी के दौर को याद करना होगा। दरअसल, कोरोना महामारी की शुरुआती दो सालों में टेक कंपनियों ने खूब कमाई की थी। उस वक्त लोग घर बैठकर राशन मंगाने से लेकर ऑफिस की मीटिंग तक करने के लिए पूरी तरह टेक कंपनियों के प्रोडक्ट्स पर निर्भर हो गए थे। इससे इस सेक्टर में बूम आया और कंपनियों का राजस्व भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा।
बूम की वजह से बढ़ी लोगों की मांग
टेक सेक्टर में आए बूम के चलते दक्ष लोगों की मांग भी बढ़ी। इसी दौरान अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाने के लिए बड़ी कंपनियों और स्टार्टअप्स के बीच अच्छे लोगों को नौकरी पर रखने की होड़ बढ़ी। इसके अलावा उस समय टेक स्टार्टअप्स के पास फंडिंग भी कमी नहीं थी और उन्होंने अपनी पसंद के लोगों को नौकरी पर रखने के लिए पैसे की भी ज्यादा चिंता नहीं की और बड़े पैकेज पर लोगों को रखा।
फिर चीजें बदलीं कैसे?
2022 में महामारी का प्रकोप कम हुआ, लेकिन फरवरी में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू कर दिया। वहीं आर्थिक मोर्चे पर दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने मंदी की आशंका जताना शुरू कर दिया। इसके अलावा टेक कंपनियों को यह उम्मीद थी कि महामारी के बाद भी लोग अफनी जरूरतों के लिए ऑनलाइन सर्विसेस पर निर्भर रहेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। महामारी के बाद हालात सामान्य होते ही लोग फिर से पहले की तरह जीने लगे।
गूगल ने भी बताई यही वजह
12,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए गूगल के CEO सुंदर पिचई ने एक ब्लॉग में लिखा था कि पिछले दो सालों के दौरान कंपनी की खूब तरक्की हुई। इस दौरान की जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनी ने लोगों को नौकरियां दी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट ने भी इसी तरह के कारण बताते हुए लगभग हर विभाग से कर्मचारियों की छंटनी की है। कई कंपनियां अपने ऑफिस भी खाली कर रही हैं।
भारत में टेक कर्मचारियों की क्या स्थिति है?
भारत में पिछले साल टेक स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग जुटाना काफी मुश्किल रहा था और इस साल भी हालात ज्यादा बदले नहीं हैं। पहले इन स्टार्टअप्स में निवेश करने वाले निवेशक अब अपने कदम पीछे खिंच रहे हैं। दूसरी तरफ एडटेक से लेकर ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स ने लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया है। इनमें स्विगी, शेयरचैट, ओला जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं। गोमैकेनिक ने भी अपने अधिकतर कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया है।
पिछले साल गई थीं 1.5 लाख नौकरियां
लेऑफ्स के अनुसार, पिछले साल 1,024 टेक कंपनियों ने 1,54,336 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था। छंटनी करने वालो में अमेरिका, कनाडा, इजरायल, सिंगापुर, इंडोनेशिया, भारत, इंग्लैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों की कंपनियां शामिल थीं। यानी मंदी का असर पूरी दुनिया में दिखाई देने लगा था। इन कंपनियों में 3 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी हुई थी। खाना, परिवहन, वित्त, शिक्षा समेत लगभग सभी क्षेत्रों की कंपनियों ने छंटनी की थी।
इस साल एक तिहाई अर्थव्यवस्था में रहेगी मंदी- IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा का कहना है कि यह साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कठिन होगा क्योंकि अमेरिका, यूरोप और चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है। उन्होंने कहा कि विश्व की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ गिरावट देखी जा रही है और आशंका है कि एक तिहाई वैश्विक अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी की चपेट में आएगी। उन्होंने कहा कि जिन देशों में मंदी नहीं आएगी, वहां मंदी जैसे हालात बनेंगे।