वैश्विक विकास दर गिरकर होगी 2.9 प्रतिशत, लेकिन भारत अच्छी स्थिति में- IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की रिपोर्ट में कहा कि भारत समेत दुनिया के कई देशों को वर्ष 2023 में हल्की आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है। IMF ने कहा कि वैश्विक विकास दर 3.4 प्रतिशत से गिरकर 2.9 प्रतिशत होने का अनुमान है। हालांकि, अन्य देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बेहतर स्थिति में रहेगी और भारत में विकास दर 6.1 प्रतिशत रहने की संभावना है।
भारत के बारे में क्या कहा गया?
IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी मंदी आने की संभावना है। उसने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 6.8 प्रतिशत से घटकर 6.1 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। IMF के अनुसंधान विभाग के मुख्य अर्थशास्त्री और निदेशक पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में भारत की विकास दर 6.8 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया था। 2024 में विकास दर दोबारा 6.8 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
क्या रहेगी अन्य देशों की विकास दर?
IMF के मुताबिक, 2023 में अमेरिका की विकास दर 1.4 प्रतिशत, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की विकास दर -0.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन की विकास दर क्रमशः 0.1 प्रतिशत, 0.7 प्रतिशत, 0.6 प्रतिशत और 1.1 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है। इसके अलावा IMF ने चीन की विकास दर 5.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है, जो अर्थव्यवस्था में सुधार को दर्शाता है।
भारत में 2024 में 4 प्रतिशत तक गिर सकती है महंगाई दर
IMF ने भारत में महंगाई को लेकर भी अनुमान जारी किया है। IMF ने कहा कि भारत में मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में 31 मार्च तक महंगाई दर 6.8 प्रतिशत से गिरकर पांच प्रतिशत पर आ सकती है। IMF ने आगे कहा कि आगे भी महंगाई दर में गिरावट जारी रहेगी और अगले वर्ष 2024 तक इसके चार प्रतिशत तक गिरने की संभावना है। गौरतलब है कि IMF का यह अनुमान केंद्रीय बजट पेश होने से पहले आया है।
वैश्विक महंगाई दर में भी आएगी गिरावट
IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में दुनिया के 84 प्रतिशत देशों में महंगाई दर में कमी देखने को मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक महंगाई दर भी 2022 के अपने औसत 8.8 प्रतिशत से नीचे गिरकर 2023 में 6.6 प्रतिशत पर आ सकती है और 2024 में 4.3 प्रतिशत तक जा सकती है। दुनिया में महंगाई में कमी आने की बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी आना है।