फेसबुक व्हिसलब्लोअर ने लगाए गंभीर आरोप, कहा- सुरक्षा के बजाय मुनाफे को तवज्जो देती है कंपनी
व्हिसलब्लोअर बनी सोशल मीडिया दिग्गज कंपनी फेसबुक की एक पूर्व अधिकारी ने कंपनी को लेकर कई हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं। फ्रांसिस हाउगेन नाम की इस अधिकारी ने गुप्त रूप से अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) को भेजी शिकायत में आरोप लगाया है कि फेसबुक लगातार नफरत फैलाने का जरिया बना हुआ है और सुरक्षा के बजाय मुनाफे को तवज्जो देती है। इतना ही उन्होंने कंपनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।
हाउगेन ने शिकायत से साथ जमा कराए दस्तावेजों में लगाए ये आरोप
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, व्हिसलब्लोअर हाउगेन ने शिकायत के साथ SEC में जमा कराए गए दस्तावेजों में कथित तौर पर भारत में भाजपा से जुड़े RSS द्वारा संचालित या उससे जुड़े फेसबुक खातों द्वारा भय फैलाने वाली और अमानवीय सामग्री प्रसारित करने का आरोप लगाया है। इसमें कहा गया है, 'RSS के यूजर्स अपने अकाउंट से भय फैलाने और मुस्लिम विरोधी बयानों को बढ़ावा देते हैं। इसमें हिंसा को बढ़ाने के लिए हिंदू आबादी को लक्षित किया जाता हैं।'
आरोपों पर RSS ने नहीं की है कोई टिप्पणी
व्हिसलब्लोअर के इन आरोपों को लेकर RSS और भाजपा ने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन व्हिसलब्लोअर के ये आरोप भाजपा और RSS के साथ सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के नफरत फैलाने वाली सामग्री पर कार्रवाई के दावे की पोल खोल रही है।
हाउगेन ने फेसबुक पर लगाए मुनाफे को तवज्जो देने के आरोप
एक टीवी कार्यक्रम में हाउगेन ने कहा, "मैं इस बात से परेशान थी कि यह बड़ी टेक कंपनी जन सुरक्षा के ऊपर अपने मुनाफे को तरजीह देती है।" उन्होंने कहा, "जनता के लिए क्या अच्छा है और फेसबुक के लिए क्या अच्छा है, इस बिंदु पर हितों का टकराव पैदा हो गया है। फेसबुक कंपनी लगातार धन कमाने जैसे अपने हितों को तरजीह देते हुए सुरक्षा को खतरें में डाल रही है।"
दुनिया भर में नस्लवादी-जातीय हिंसा का कारण बनी फेसबुक- हाउगेन
हाउगेन द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से जाहिर होता है कि फेसबुक कंपनी नफरत, हिंसा और दुष्प्रचार रोकने के अपने उपायों को लेकर झूठ बोल रही है। फेसबुक का दावा है कि उसने इस दिशा में काफी प्रगति की है। हाउगेन ने कहा, "आज फेसबुक जिस रूप में मौजूद है, उससे वह हमारे समाजों को तोड़ रही है और दुनिया भर में नस्लवादी-जातीय हिंसा का कारण बन रही है। इसके कारण दुनिया में गंभीर दुष्परिणाम नजर आ रहे हैं।"
दुष्प्रचार रोकने के लिए किया था फेसबुक से जुड़ने का फैसला- हाउगेन
हाउगेन ने कहा कि वह दुष्प्रचार रोकने के इरादे से 2019 में फेसबुक से जुड़ी थी। उसके पहले वह पिनट्रेस्ट और गूगल में काम करती थी। फेसबुक में काम करते हुए उन्हें अहसास हुआ कि कंपनी इन मुद्दों को हल करने में अनिच्छुक है, जबकि उसके पास इनसे निपटने के उपकरण मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि फेसबुक की वर्तमान नीति के कारण दुनिया में गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। ऐसे में इनके समाधान के लिए काम करना होगा।
अमेरिकी सीनेट वाणिज्य उपसमिति ने की हाउगेन से पूछताछ
हाउगेन के फेसबुक पर गंभीर आरोप लगाने के बाद अमेरिकी सीनेट वाणिज्य उपसमिति ने मंगलवार को उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। उन्होंने समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपने आरोपों से संबंधित आवश्यक दस्तावेज भी प्रस्तुत किए हैं। उनकी जांच की जा रही है।
फेसबुक ने अभद्र भाषा से जुड़े 0.2 प्रतिशत मामलों में ही की कार्रवाई
हाउगेन की ओर से 'प्रतिकूल हानिकारक नेटवर्क- भारत केस स्टडी' के नाम से पेश किए गए एक दस्तावेज में फेसबुक के राजनीतिक विचारों का हवाला दिया गया है। इसमें कंपनी अपनी तीन राजनीतिक प्राथमिकताएं मानती है, जिनमें अमेरिका, ब्राजील और भारत शामिल हैं। इसमें भारत में एक विशेष धर्म के खिलाफ सामग्री प्रसारित करना प्रमुख है। चौंकाने वाली बात यह है कि फेसबुक अभद्र भाषा से जुड़े 0.2 प्रतिशत मामलों में ही कार्रवाई करता है।
फेसबुक के पास नहीं है हिंदी और बंगाली भाषा को पकड़ने वाला टूल
हाउगेन ने कहा कि फेसबुक के पास हिंदी और बंगाली भाषा की जांच के लिए आवश्यक क्लासिफायर टूल नहीं है। इसके कारण इन दोनों भाषाओं में की जाने वाली मुस्लिम विरोधी या अभद्र पोस्ट पकड़ी नहीं जाती है। उन्होंने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) ने पिछले साल एक आंतरिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बजरंग दल को खतरनाक संगठन करार दिया था, लेकिन कंपनी ने वित्तीय और सुरक्षा चिंताओं के कारण रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की।
बजरंग दल की चेतावनी के चलते कंपनी ने नहीं की कार्रवाई
WSJ ने रिपोर्ट किया कि फेसबुक बजरंग दल के खिलाफ कार्रवाई करने से कतराता है। इसका कारण है कि दल ने चेतावनी दी थी कि उसके खिलाफ कार्रवाई भारत में कंपनी की व्यावसायिक संभावनाओं और उसके कर्मचारियों दोनों को खतरे में डाल सकती है।
फेसबुक ने किया अपना बचाव
हाउगेन के आरोपों के बीच फेसबुक ने कहा है कि वह पहले से कहीं ज्यादा अभद्र भाषा वाली पोस्ट का पता लगाकर उस पर कार्रवाई कर रहा है। इसके अलावा हिंसात्मक सामग्री की भी गहनता से जांच की जा रही है। कंपनी ने 2019 में दावा किया था कि प्लेटफॉर्म पर नफरत फैलाने वाली सामग्री को पकड़ने के लिए चार भारतीय भाषाओं हिंदी, बंगाली, उर्दू और तमिल पर स्वचालित क्लासिफायर एल्गोरिदम लगाया है। इससे इन्हें आसानी से पकड़ा जा सकेगा।