जम्मू-कश्मीर: आतंकी संगठनों से संबंध रखने के आरोप में दो पुलिसकर्मियों सहित छह कर्मचारी बर्खास्त

जम्मू-कश्मीर सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी गतिविधियों की रोकथाम के लिए बुधवार को बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने आतंकी संगठनों से संबंध रखने और उनके लिए जमीनी कार्यकर्ताओं के रूप में काम करने के आरोप में छह सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो सिपाही भी शामिल है। सरकार के इस कदम से राज्य के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश की सरकार की ओर से सरकारी कर्मचारियों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति को राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों के सामयिक चरित्र और नौकरी से पहले कार्य के सत्यापन की जिम्मेदारी सौंपी थी। समिति ने जांच के दौरान दो पुलिसकर्मियों सहित छह कर्मचारियों के आतंकी संगठनों से संबंध मिलने को देखते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी।
बता दें कि सरकार ने कुछ समय पहले आदेश जारी कर कहा था कि जम्मू-कश्मीर में देश की संप्रभुता, संविधान और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित होता है या फिर विदेशी हितों के लिए जानबूझकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काम करते पाया जाता है तो उसे सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा। इसी तरह सरकार ने समय-समय पर कर्मचारियों के चरित्र प्रमाणीकरण का भी आदेश जारी किया था। उसके बाद से कर्मचारियों पर नजर रखी जाती है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों की जांच के लिए समिति का गठन किया था। इस अनुच्छेद के तहत सरकार को बिना किसी जांच के कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने का अधिकार मिलता है। हालांकि, इसमें राष्ट्रपति या राज्यपाल को इस बात की संतुष्टि होना आवश्यक है कि कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा कार्य राज्य या देश की सुरक्षा के हित में नहीं है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने पिछले सप्ताह भी एक आदेश जारी कर कहा था कि किसी भी कर्मचारी को पासपोर्ट उसी सूरत में जारी किए जाएंगे, जब वह अपने विभाग की ओर से सतर्कता मंजूरी प्रस्तुत करेंगे। इसके बिना पासपोर्ट नहीं मिलेगा।
इससे पहले भी जुलाई में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 11 कर्मचारियों को भी सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इनमें हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सैयद सलाहुद्दीन के बेटे भी शामिल थे। इसके अलावा पुलिस विभाग से दो कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया था। इन लोगों पर आरोप था कि ये आतंकी संगठनों के लिए जमीनी वर्कर के रूप में काम कर रहे थे और राज्य में आतंकी गतिविधियों के लिए उनकी मदद कर रहे थे।