इमरान खान का कबूलनामा, पाकिस्तान ने दी मुजाहिदीनों को ट्रेनिंग, अमेरिका ने दिया पैसा

आतंकवाद पर पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़े पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक इंटरव्यू में माना है कि 1980 के दशक में पाकिस्तान ने जिहादियों को ट्रेनिंग दी थी और इसके लिए उसे अमेरिका ने पैसा दिया था। इमरान का मानना है कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिका का साथ नहीं देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अब अफगानिस्तान में अमेरिका के सफल नहीं होने के लिए पाकिस्तान को दोष दिया जाता है और ये गलत है।
रूस के चैनल रशिया टुडे को दिए इंटरव्यू में इमरान ने ये बातें कही हैं। उन्होंने कहा, "अगर हमने 9/11 के बाद अमेरिका के युद्ध में हिस्सा नहीं लिया होता तो हम दुनिया का सबसे खतरनाक देश नहीं होते। मैं इसके खिलाफ था। 1980 के दशक में हम अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले रूस के खिलाफ जिहाद करने के लिए मुजाहिदीनों को ट्रेनिंग दे रहे थे। इन लोगों को पाकिस्तान ने ट्रेनिंग दी और अमेरिका की CIA ने पैसा दिया।"
इमरान ने कहा, "एक दशक बाद जब अमेरिका अफगानिस्तान में आया तो ये जिहाद आतंकवाद बन गया। ये बड़ा विरोधाभास था।" "मेरा मानना है कि पाकिस्तान को तटस्थ होना चाहिए था क्योंकि युद्ध में शामिल होने पर ये मुजाहिदीन हमारे खिलाफ हो गए। हमने 70 हजार लोग खो दिए। अर्थव्यवस्था में हमें 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। अंत में अफगानिस्तान में अमेरिका के असफल होने के लिए हमें दोष दिया गया। ये पाकिस्तान के साथ बहुत बड़ा अन्याय था।"
ये पहली बार नहीं है जब इमरान ने पाकिस्तान के आतंकवाद को पोषण देने की बात स्वीकार की है। इससे पहले जुलाई में अमेरिका के दौरे पर इमरान ने स्वीकार किया था कि उनके देश में 40 आतंकवादी संगठन सक्रिय थे और पाकिस्तान की पिछली सरकारों ने ये बात अमेरिका से छिपा कर रखी और जमीनी हकीकत नहीं बताई। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में अभी भी 30,000-40,000 ऐसे आतंकी सक्रिय हैं जो अफगानिस्तान या कश्मीर में लड़ चुके हैं।
रशिया टुडे के बातचीत में इमरान ने जो बातें कहीं वो प्रमाणिक तथ्यों के बेहद नजदीक हैं, लेकिन इनमें सच्चाई का केवल एक पहलू बताया गया है। सच का दूसरा पहलू ये है कि पाकिस्तान ने भी इस युद्ध के दौरान अमेरिका का खूब फायदा उठाया और उसके दिए गए पैसों का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए किया। पाकिस्तान ने कई आतंकवादी संगठनों को संरक्षण दिया और उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया।
लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती बरती है और उसे आर्थिक मदद देना बंद कर दिया है। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने और आतंकवाद से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी अमेरिका ने भारत का साथ दिया। कश्मीर मामले में भी उसे अमेरिका से खास सहायता नहीं मिली है और इसलिए उसका अपने इस "पुराने दोस्त" से मोहभंग हो गया है।