कार में लगी इस तरह की हेडलाइट्स से कट सकता है चालान, क्या कहते हैं नियम?
देश में होने वाले सड़क हादसों के पीछे ज्यादातर ट्रैफिक नियमों का पालना नहीं करना सबसे बड़ा कारण माना गया है। इन्हीं में से एक नियम गाड़ियों में हेडलाइट को लेकर है, जिसकी अनदेखी आपके साथ दूसरे वाहन चालकों के लिए हादसे का सबब बन जाती है। लोग अपनी कार की हैलोजन हेडलाइट को LED में अपग्रेड कराते समय भी भूल कर बैठते हैं। आइए जानते हैं हेडलाइट को लेकर नियम क्या कहते हैं।
कितनी क्षमता की होनी चाहिए हैलोजन हेडलाइट?
मोटर वाहन नियम कहते हैं कि किसी भी गाड़ी पर 75 वाट से ज्यादा के हैलोजन हैडलैंप नहीं होने चाहिए। केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 की धारा 138 के अनुसार, किसी वाहन में 24V सिस्टम में 70/75W या 12V सिस्टम में 60/65W से अधिक हैलोजन लैंप नहीं हो सकते हैं। यही कारण है कि लगभग सभी वाहन निर्माता रिफ्लेक्टर-प्रकार के हेडलैंप इकाइयों में 55/60W हैलोजन बल्ब का उपयोग करते हैं। इससे अधिक क्षमता के बल्ब लगाना कानून का उल्लंघन है।
इससे ज्यादा नहीं होनी चाहिए LED हेडलाइट्स की रोशनी
पारंपरिक हैलोजन बल्ब की तुलना में बेहतर रोशनी के लिए कई लोग अपनी गाड़ियों को आफ्टरमार्केट हाई-इंटेंसिटी डिस्चार्ज (HID) या लाइट-एमिटिंग डायोड (LED) हेडलाइट्स का विकल्प चुन रहे हैं। ये चमकदार रोशनी देने के साथ लंबे समय तक चलती हैं, लेकिन आंखों में चकाचौंध पैदा करने के साथ ड्राइवर को थका देती हैं। इसके अलवा इससे जुड़ा नियम बहुत कम लोगों को पता है कि इनकी रोशनी 3,000 लुमेन से अधिक होना नियमों के विपरीत माना गया है।
हाई बीम पर कार चलाना भी है नियमों का उल्लंघन
इसके अलावा हेडलाइट को हाई बीम पर रखकर कार चलाना भी नियमों का उल्लंघन माना गया है। कई लोग रात के समय अच्छी विजिबिलिटी के लिए कार को हाई बीम पर चलाते हैं और खास तौर पर बारिश के मौसम और धुंध के समय इसका उपयोग किया जाता है। हाई बीम पर गाड़ी चलाना खतरनाक होता है क्योंकि, इससे सामने से आ रहे वाहनों के ड्राइवर की आंखों पर तेज रोशनी पड़ने से हादसा होने का डर रहता है।