दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर दोपहिया और तीन पहिया वाहन चलाने पर होगा 20,000 रुपये का जुर्माना
क्या है खबर?
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) प्रतिबंधित वाहनों पर जुर्माना बढ़ाकर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को सुरक्षित बनाने की योजना बना रहा है।
गौरतलब है कि प्राधिकरण द्वारा इस एक्सप्रेसवे पर दोपहिया और तीन पहिया वाहनों को चलने की अनुमति नहीं दी गई है।
NHAI स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर प्रतिबंधित वाहनों को इस एक्सप्रेसवे पर चलने से रोकने का प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में ऐसे वाहनों पर लगने वाले जुर्माने को 20 गुना तक बढ़ाया जा रहा है।
नियम
अभी एक्सप्रेसवे पर लगता है 1,000 रुपये का जुर्माना
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का आखिरी 60 किलोमीटर का हिस्सा, जो अक्षरधाम मंदिर पर गाजियाबाद और दिल्ली को जोड़ता है, इस एक्सप्रेसवे का सबसे व्यस्त सेक्शन है।
इस हिस्से के बीच आने-जाने वाले लोग अक्सर ट्रैफिक जाम से बचने के लिए एक्सप्रेसवे की मुख्य लेन का सहारा लेते हैं, जबकि छोटे और धीमी गति वाहनों के लिए सिर्फ सर्विस लेन की ही अनुमति है।
इस ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने पर फिलहाल 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
दुर्घटनाएं
क्यों बैन हैं दोपहिया और तीन पहिया वाहन?
दिल्ली के करीब वाले इस हिस्से पर दोपहिया और तीन पहिया वाहन अक्सर इन ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए देखे जाते हैं।
हाल के दिनों में एक्सप्रेसवे के इस भाग पर कई घातक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले हफ्ते एक 18 वर्षीय लड़की और दो अन्य लोगों की उस समय मौत हो गई जब एक अज्ञात वाहन ने इनके दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी।
ऐसी घटनाएं यातायात नियमों के खराब क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती हैं।
फैसला
अगस्त में ही लागू हो सकता है नया नियम
NHAI अधिकारियों के मुताबिक जुर्माना राशि को 1,000 से बढ़ाकर 20,000 रुपये करने से दोपहिया और तीन पहिया वाहनों को इस एक्सप्रेसवे से दूर रखने में मदद मिलेगी।
जुर्माना बढ़ाने को लेकर अंतिम फैसला इस महीने के दूसरे सप्ताह तक होने की उम्मीद है। फैसला होने के बाद इसे तत्परता से लागू किया जाएगा।
एक्सप्रेसवे की मुख्य लेन को स्कूटर और मोटरसाइकिलों की पहुंच से इसलिये बाहर रखा गया है क्योंकि यहां चार पहिया वाहनों की गति अधिक होती है।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मई, 2018 में किया गया था। यह परियोजना 8,346 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई। इस एक्सप्रेसवे से दोनों शहरों की दूरी दो घंटे से घटकर लगभग 45 मिनट की रह गई है।