कारों में कितनी तरह की होती हैं हेडलाइट? जानिए इनकी खासियत और कमियां
रात के समय कार चलाते समय हेडलाइट्स की भूमिका काफी अहम होती है। बारिश और कोहरे में अच्छी रोशनी वाले हेडलैंप सफर को आसान और सुरक्षित बनाते हैं। साथ ही ये गाड़ी के लुक को भी आकर्षक देते हैं। यही कारण है लोग कार खरीदते समय इन पर जरूर ध्यान देते हैं। गाड़ियाें में मैट्रिक्स, LED, प्रोजेक्टर, क्सीनन और हैलोजन लाइट मिलती हैं। आप भी चयन को लेकर संशय में है तो जानिए किस हेडलाइट के क्या फायदे-नुकसान हैं।
किफायती होने के कारण ज्यादा उपयोग
हैलोजन हेडलाइट्स सबसे पारंपरिक हैं और आमतौर पर एंट्री-लेवल कारों में पाई जाती हैं। इन लाइट्स के बल्ब हैलोजन गैस से भरे ग्लास कैप्सूल में रखे टंगस्टन फिलामेंट के जरिए काम करता है। यह पीली रंग की रोशनी देती हैं। ये किफायती, बदलने में आसान और आसानी से उपलब्ध होने के कारण ज्यादा उपयोग में लिए जाते हैं। नुकसान देखें तो दूसरे बल्बों की तुलना में इनकी रोशनी कमजोर, जीवनकाल कम और ऊर्जा की खपत ज्यादा होती है।
जेनॉन हेलोजन हेडलैंप से ज्यादा देती है रोशनी
जेनॉन या हाई-इंटेंसिटी डिस्चार्ज (HID) हेडलाइट्स में हैलोजन लाइट्स की तरह फिलामेंट नहीं होता, बल्कि इनमें क्सीनन गैस भरी जाती है। इलेक्ट्रोड के बीच एक विद्युत चाप बनाकर प्रकाश उत्पन्न करते हैं। इनकी रोशनी हैलोजन हेडलैंप की तुलना में अधिक चमकदार होती है और ये अधिक समय तक चलते हैं। दूसरी तरफ कमी देखें तो इन्हें बदलने में खर्चा ज्यादा आता है और बीम ठीक से एडजेस्ट नहीं होने पर सामने वाले वाहन चालक के लिए परेशानी पैदा करती है।
सबसे लोकप्रिय हैं ये लाइट्स
वर्तमान में आने वाली ज्यादातर गाड़ियां लाइट एमिटिंग डायोड (LED) हेडलाइट्स के साथ आती हैं, जिसमें छोटी, चमकदार LED की एक सीरीज का उपयोग किया जाता है। ये लंबे जीवनकाल, ज्यादा चमक और कम बिजली की खपत करने के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। दूसरी तरफ नुकसान देखें तो अच्छी गुणवत्ता वाले LED बल्ब की कीमत अधिक होती है और ये गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं। इन्हें बदलना दूसरे बल्ब की तुलना में काफी जटिल होता है।
आवश्यकता वाली जगह पर जाती है इसकी रोशनी
प्रोजेक्टर हेडलाइट्स किसी विशिष्ट प्रकार के बल्ब का नहीं, बल्कि एक डिजाइन शैली होती है। इसमें एक लेंस रोशनी किरण को केंद्रित और निर्देशित करता है। इससे रोशनी ठीक वहीं जाती है, जहां आवश्यकता होती है। प्रोजेक्टर लाइट में हैलोजन, LED या क्सीनन बल्ब रखे जा सकते हैं। यह ट्रैफिक की चकाचौंध को कम करने और ट्रैफिक मानदंडों का अनुपालन करने करने में सहायक है। हालांकि, यह महंगा और इसे बदलना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
लेजर लाइट्स की लंबी दूरी तक जाती है रोशनी
लेजर लाइट्स बाजार में उपलब्ध एडवांस हेडलाइट्स में से एक हैं। यही कारण है कि ये महंगी और प्रीमियम कार्स मिलती हैं। यह लेजर्स की मदद से गैस को एक्टिव करती हैं और अधिक रोशनी देती हैं। इनकी रोशनी अन्य हेडलाइट्स के मुताबिक, अच्छी होती है। देखने में काफी छोटी होती हैं, लेकिन इनकी रोशनी सड़क पर लगभग 600 मीटर तक जाती हैं। इन लाइट्स को लगवाने के लिए ग्राहकों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
सबसे एडवांस है मैट्रिक्स हेडलाइट्स
मैट्रिक्स हेडलाइट्स सबसे आधुनिक LED सिस्टम हैं। यह कई खंडों में विभाजित होती हैं, जो स्वतंत्र रूप से चालू या बंद हो सकते हैं। यह बीम को गतिशील रूप से आकार देने की अनुमति देता है। इन लाइट्स में सेंसर का इस्तेमाल होता है और इस टेक्नोलॉजी से हाई बीम लाइट का सामना करना आसान होता है। यह सुरक्षा के लिहाज से सबसे अच्छी हेडलाइट हैं, लेकिन इनकी कीमत काफी अधिक होती है और सर्विस भी खर्चीली और जटिल है।