इथेनॉल से चलने वाली गाड़ियों के प्रमुख फायदे क्या हैं?
दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा ने 100 प्रतिशत इथेनॉल से चलने वाली दुनिया की पहली गाड़ी टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस फ्लैक्स-फ्यूल से पर्दा उठा दिया है। यह BS6 फेज-II मानकों वाली इलेक्ट्रिक फ्लैक्स-फ्यूल कार है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस गाड़ी के प्रोटोटाइप मॉडल को लॉन्च किया। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इथेनॉल से चलने वाली गाड़ियों के क्या फायदे हैं और हमें ऐसी गाड़ियां क्यों अपनानी चाहिए। आइये इस बारे में जानते हैं।
प्रदूषण कम करती हैं फ्लैक्स-फ्यूल गाड़ियां
इथेनॉल या मेथनॉल पेट्रोल की तुलना में अधिक कुशलता से जलते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है और इस वजह से यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। ऐसे में अगर हम फ्लैक्स-फ्यूल गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं तो वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम कर सकते हैं हमारे देश में 40 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों की वजह से होता है। इस वजह से सरकार भी फ्लैक्स-फ्यूल गाड़ियों पर जोर दे रही है।
फ्लैक्स-फ्यूल गाड़ियों से बढ़ेगा रोजगार
बता दें कि गन्ने और मकई जैसे उत्पादों की मदद से इथेनॉल का उत्पादन स्थायी रूप से किया जा सकता है। भारत दुनिया में इथेनॉल का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है और इस वजह इथेनॉल का इस्तेमाल ईंधन के रूप में बड़ी मात्रा में किया जाना काफी फायदेमंद होगा। इससे पेट्रोल और डीजल का आयात भी कम हो सकेगा। साथ ही इससे देश के गन्ना और मकई के किसानों को भी फायदा पहुंचेगा और रोजगार बढ़ेगा।
आत्मनिर्भरता बढ़ाएंगी इथेनॉल संचालित गाड़ियां
भारत फ्लैक्स-फ्यूल पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि अभी देश में अधिकांश ईंधन अन्य देशों से आयात किए जाते हैं। फ्लैक्स-फ्यूल को अपनाने से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इस बारे में बात करते हुए नितिन गडकरी के कहा, "अगर हमें आत्मनिर्भर बनना है तो पेट्रोल और डीजल का आयात कम करना होगा। फिलहाल हम हर साल 16 लाख करोड़ रुपये तेल के आयात पर खर्च करते है, जो अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।"
वाहनों पर कैसा है इसका असर?
अभी तक इथेनॉल ईंधन के इस्तेमाल से वाहनों पर कोई बुरा असर देखने को नहीं मिला है। इसमें ऑक्सीजन होती है, जिससे ईंधन को पूरी तरह से जलने में मदद मिलती है।
वाहनों को मिलेगी बेहतर परफॉरमेंस
कई लोगों को लगता है कि इथेनॉल ईंधन से गाड़ियों की परफॉरमेंस कम हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। स्वीडिश सुपरकार निर्माता कोएनिगसेग ने अपनी CCX कार का फ्लैक्स-फ्यूल वेरिएंट लॉन्च किया है, जो इथेनॉल से चलने में सक्षम है। यह गाड़ी करीब 1018bhp पावर जनरेट करने में सक्षम है। इस गाड़ी का ICE मॉडल केवल 806bhp पावर जनरेट करता है। दूसरी तरफ फ्लैक्स-फ्यूल गाड़ियों को इलेक्ट्रिक कार की तरह भी चलाया जा सकता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
जानकारी के अनुसार आने वाले 2 वर्षों में देशभर में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का इस्तेमाल होने लगेगा। इथेनॉल ईंधन अपनाने के लिए लोगों को जागरूक करना सरकार के लिए एक चुनौती होगी।