कृष्णा नदी पर बनेगा देश का पहला केबल-स्टेड कम सस्पेंशन पुल, केंद्र ने दी मंजूरी
क्या है खबर?
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को जोड़ने के लिए कृष्णा नदी पर देश के पहले केबल-स्टेड कम सस्पेंशन पुल का निर्माण किया जाएगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को इसकी मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी जानकारी दी है। यह पुल नल्लामाला वन रेंज से गुजरेगा।
इस पुल का निर्माण 30 महीनों में 1,082.56 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। इसमें कई तरह की विशेषताएं होंगी।
ट्वीट
गडकरी ने ट्वीट कर दी जानकारी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार शाम को ट्वीट कर सरकार के फैसले की जानकारी दी है।
उन्होंने लिखा, 'नए भारत में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के माध्यम से समृद्धि लाना। आंध प्रदेश और तेलंगाना में कृष्णा नदी पर प्रतिष्ठित केबल-स्टे-कम-सस्पेंशन पुल को केंद्र सरकार ने 30 महीने की निर्माण अवधि के साथ 1,082.56 करोड़ की कुल लागत की मंजूरी दी है।'
उन्होंने इस पुल को देश की प्रगति का हाईवे भी करार दिया है।
खासियत
केबल पुल में क्या होंगी खासियत?
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि देश की इस पहले प्रतिष्ठित केबल पुल में कई अनूठी खासियतें होंगी। इसमें नदी के पार सबसे लंबा कांच का पैदल मार्ग होगा, गोपुरम जैसे तोरण होंगे, सिग्नेचर लाइटिंग और एक बड़ा नेविगेशन स्पान होगा।
उन्होंने कहा कि निर्माण पूरा होने के बाद यह पुल अपनी तरह का दुनिया में दूसरा और भारत में पहला होगा। इसकी संरचनात्मक व्यवस्था इसे किफायती के साथ-साथ सौंदर्य की दृष्टि से भी बेहतर बनाएगी।
सुंदरता
चारो ओर की सुंदरता से पुल को मिलेगा बेहतरीन दृश्य- गडकरी
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि पुल का सुंदर परिवेश है। यह नल्लामाला जंगल में स्थित विशाल श्रीशैलम जलाशय पर्यटक क्षमता वाले ऊंचे पहाड़ों से घिरा होगा।
इसी तरह तेलंगाना की ओर ललिता सोमेश्वर स्वामी मंदिर और आंध्र प्रदेश की ओर संगमेश्वरम मंदिर इसे आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने कहा कि तीन किलोमीटर लंबे पुल के निर्माण के बाद हैदराबाद और तिरुपति के बीच की दूरी 80 किलोमीटर तक कम हो जाएगी।
पृष्ठभूमि
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की इन जगहों को जोड़ेगा पुल
बता दें कि यह पुलिस तेलंगाना के सोमासिला और आंध्र प्रदेश के आत्माकुर को जोड़ेगा।
वर्तमान में तेलंगाना के लोगों को महानंदी, अहोबिलम, तिरुपति के लिए कुरनूल के रास्ते लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
इन स्थानों तक पहुंचने के लिए सोमासिला से नदी के उस पार नाव से यात्रा करना अन्य विकल्प है।
हालांकि, नदी में बहाव बढ़ने से काफी खतरा रहता है। 18 जनवरी, 2007 को यहां नाव पलटने से करीब 60 लोगों की मौत हो गई थी।