
टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस का फ्लैक्स-फ्यूल प्रोटोटाइप मॉडल भारत में लॉन्च, EV मोड में भी चेलगा
क्या है खबर?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय बाजार में टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस के फ्लैक्स-फ्यूल प्रोटोटाइप मॉडल को लॉन्च कर दिया है। यह 100 प्रतिशत इथेनॉल से चलने वाली दुनिया की पहली गाड़ी है।
हाइक्रॉस का यह प्रोटोटाइप BS6 फेज-II मानकों वाली इलेक्ट्रिक फ्लैक्स-फ्यूल गाड़ी है, जिसे इलेक्ट्रिक कार की तरह भी चलाया जा सकता है।
टोयोटा ने इस गाड़ी के लुक और केबिन में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया है।
आइये इस बारे में जानते हैं।
लुक
बॉडी-ऑन-फ्रेम चेसिस बनी है यह गाड़ी
मौजूदा मॉडल की तरह ही नई टोयोटा इनोवा के हाइक्रॉस फ्लैक्स-फ्यूल मॉडल को बॉडी-ऑन-फ्रेम चेसिस पर बनाया गया है।
इसमें मस्कुलर क्लैमशेल बोनट, DRL के साथ स्लीक LED हेडलाइट्स, क्रोम से घिरा हुआ हेक्सागोनल ग्रिल, एक चौड़ा एयर डैम और सिल्वर स्किड प्लेट्स मौजूद है।
MPV के साइड में ORVMs, क्रोम विंडो गार्निश, फ्लेयर्ड व्हील आर्च और 18-इंच के डिजाइनर अलॉय व्हील दिए गए हैं। इस गाड़ी का केबिन भी मौजूदा मॉडल से समान ही है।
पावरट्रेन
EV मोड पर भी चल सकती है इनोवा हाइक्रॉस फ्लैक्स-फ्यूल
टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस फ्लैक्स-फ्यूल के प्रोटोटाइप मॉडल में BS6 फेज-II मानकों वाला अपडेटेड 2.0-लीटर पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल किया गया है, जो करीब 181 bhp पावर जनरेट करने में सक्षम है। यह इंजन 100 प्रतिशत इथेनॉल पर चलने में भी सक्षम है।
इसमें सेल्फ चार्जिंग लिथियम-आयन बैटरी पैक का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी मदद से इस गाड़ी को इलेक्ट्रिक कार की तरह भी चलाया जा सकता है।
ट्रांसमिशन के लिए इस गाड़ी में e-CVT गियरबॉक्स जोड़ा गया है।
बयान
नितिन गडकरी ने इस बारे में क्या कहा?
बता दें कि नितिन गडकरी कच्चे तेल के आयात को कम करने और वैकल्पिक ईंधन अपनाने को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं, जिसे पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इनोवा हाइक्रॉस फ्लैक्स-फ्यूल के लॉन्च इवेंट में नितिन गडकरी ने कहा, "हमारे देश में 40 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों की वजह से होता है। वाहनों के उत्सर्जन से दिल्ली के निवासी सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।"
प्रदूषण
पर्यावरण के लिए जरूरी है फ्लैक्स-फ्यूल गाड़ियां
फ्लैक्स-फ्यूल पर्यावरण के लिए बहुत जरूरी हैं क्योंकि इथेनॉल या मेथनॉल पेट्रोल की तुलना में अधिक कुशलता से जलते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है।
गन्ने और मकई जैसे उत्पादों से इथेनॉल का उत्पादन स्थायी रूप से किया जा सकता है। इसलिए अन्य देशों से पेट्रोल आयात करने के बजाय इथेनॉल का मिश्रण एक बेहतर विकल्प है।
अन्य देश भी इस प्रकार के विकल्पों को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, जिससे दूसरे देशों पर निर्भरता कम हो सके।
गाड़ियां
देश के लिए क्यों जरूरी है फ्लैक्स-फ्यूल?
अभी देश में अधिकांश ईंधन अन्य देशों से आयात किए जाते हैं। फ्लैक्स-फ्यूल को अपनाने से भारत के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, क्योंकि इथेनॉल का उत्पादन स्थानीय स्तर पर होगा।
वर्तमान में देश में हर साल 16 लाख करोड़ रुपये तेल के आयात पर खर्च होते हैं। फ्लैक्स-फ्यूल अपनाने से ईंधन का आयात कम हो सकेगा और देश के गन्ना और मकई के किसानों को भी फायदा पहुंचेगा।
फ्लैक्स फ्यूल
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
फ्लैक्स-फ्यूल इंजन एक आंतरिक दहन इंजन (ICE) ही है, जो एक से अधिक प्रकार के ईंधन और मिश्रण पर भी चल सकता है। आमतौर पर इनमें पेट्रोल और इथेनॉल या मेथनॉल के मिश्रण का उपयोग किया जाता है।
यह इंजन इन ईंधनों को किसी भी अनुपात में लेकर काम करने में सक्षम होते हैं। यह इंजन 100 प्रतिशत पेट्रोल या इथेनॉल पर चलने में सक्षम हैं। इनका प्रयोग ब्राजील, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में पहले से हो रहा है।