
कार निर्माता प्रस्तावित उत्सर्जन मानकों का कर रहे विरोध, जानिए क्या है कारण
क्या है खबर?
कार निर्माता भारत की प्रस्तावित कार्बन उत्सर्जन सीमा और हल्की कारों के लिए नए मानकों की योजना के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने ग्रह को गर्म करने वाली ग्रीनहाउस गैसों को रोकने के लिए दक्षिण एशियाई राष्ट्र के विनियमन के उपयोग को बहुत आक्रामक करार दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की 2027 से कार उत्सर्जन में भारी कटौती करने की योजना है। इससे कार निर्माता कंपनियों को नुकसान का डर सताने लगा है।
प्रस्ताव
इन दस्तावेजों से चला प्रस्ताव का पता
ब्लूमबर्ग न्यूज को मिले सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के एक नोट के अनुसार, भारत सरकार की 2027 से कार उत्सर्जन में एक तिहाई की कटौती करने की योजना है, जो पिछले लक्ष्य की तुलना में दोगुनी से ज्यादा है। यह उद्याेग की स्थिरता को जोखिम में डालती है। दस्तावेज भारत के कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता मानदंडों के तीसरे चरण पर चर्चा का हिस्सा है। भारत दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जनकर्ताओं में से एक है।
जोखिम
SIAM ने बताई ये जोखिम
देश का 137 अरब डॉलर (करीब 11,782 अरब रुपये) का ऑटो उद्योग ग्रीनहाउस गैसों में प्रमुख योगदानकर्ता है। SIAM की ओर से ऊर्जा मंत्रालय को पेश किए दस्तावेज के अनुसार, प्रस्तावित भारी कटौती से वाहन निर्माताओं अरबों रुपये के जुर्माने का जोखिम है। इससे भारत के सबसे महत्वपूर्ण निर्माण क्षेत्रों में से एक में भविष्य के निवेश को खतरा है। सूत्रों के अनुसार, 2 जुलाई को बैठक में वाहन निर्माता परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे।
विरोध
इस कारण कार निर्माता कर रहे विरोध
सूत्रों ने बताया कि सरकार छोटी और हल्की कारों के लिए भारी मॉडल्स के मुकाबले अलग-अलग मानक लागू करने का प्रस्ताव बना रही है और कार निर्माता इसका विरोध कर रहे हैं। इस दृष्टिकोण से मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों को लाभ हो सकता है, जो छोटी कार बाजार पर हावी हैं और CNG और हाइब्रिड तकनीक में भारी निवेश कर रही हैं। आकार के हिसाब से मानकों को विभाजित करने से नीतिगत सामंजस्य कमजोर होगा।