भारत ने कनाडा में अपनी वीजा सेवाएं निलंबित कीं, सरकार ने सुरक्षा स्थिति को बताया कारण
भारत और कनाडा के बीच राजनयिक गतिरोध चरम पर पहुंच गया है और भारत ने कनाडा में अपनी वीजा सेवाओं को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया है। सुबह कनाडा में वीजा केंद्रों का संचालन करने वाले BLS इंटरनेशनल ने अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी दी। अब भारत सरकार ने भी बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है। सरकार ने सेवाओं को निलंबित करने का कारण सुरक्षा स्थिति को बताया है।
भारत ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आज मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, "आप कनाडा में हमारे उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों को सुरक्षा खतरे के बारे में अवगत हैं। इससे उनका सामान्य कामकाज बाधित हो गया है। इसी कारण हमारे उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास अस्थायी रूप से वीजा आवेदनों पर कार्रवाई करने में असमर्थ हैं। हम नियमित आधार पर स्थिति की समीक्षा करते करेंगे।" उन्होंने बताया कि ई-वीजा सेवाओं को भी अस्थायी तौर पर निलंबित किया गया है।
बुधवार को भारत सरकार ने जारी की थी एडवाइजरी
इससे पहले बुधवार को भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी कर कनाडा में रह रहे और वहां की यात्रा करने के इच्छुक भारतीय नागरिकों को अत्यंत सावधानी बरतने को कहा था। कनाडा में बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों और राजनीतिक रूप से समर्थित नफरती अपराधों को देखते हुए यह एडवाइजरी जारी की गई थी। इसमें भारतीय नागरिकों को अपनी जानकारी MADAD पोर्टल पर रजिस्टर करने को कहा गया था, ताकि दूतावास उनके संपर्क में रहे।
भारत और कनाडा के बीच क्यों चल रहा विवाद?
19 जून को खालिस्तानी टाइगर फोर्स (KTF) प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की वैंकूवर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर को भारत ने आतंकवादी घोषित किया हुआ था। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंट्स का हाथ होने के सबूत मिले हैं। कनाडा ने एक भारतीय राजनियक को निष्कासित कर दिया था। भारत ने भी एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया।
भारत का आरोपों पर क्या कहना है?
भारत सरकार ने कनाडा के आरोपों को बेतुका बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "इस तरह के निराधार आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से ध्यान भटकाने के लिए हैं, जिन्हें कनाडा में आश्रय दिया गया है और वे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बने हुए हैं।" मंत्रालय ने कहा, "इन मामलों में भारत के लिए कनाडाई सरकार की निष्क्रियता लंबे समय से चिंता का विषय रही है।"
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत और कनाडा के संबंधों में 'खालिस्तान आंदोलन' एक पुराना नासूर है। खालिस्तान का समर्थन करने वाले कई वांछित नेता यहां छिप कर बैठे हैं। ट्रूडो के सत्ता में आने के बाद से यहां भारत विरोधी गतिविधियों में इजाफा हुआ है क्योंकि सरकार सिखों को वोटबैंक के रूप में देखती है और खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई से बचती है। भारत का आरोप है कि कनाडा इन आतंकियों के प्रर्त्यपण के कई अनुरोधों को ठुकरा चुकी है।